कमलेश यादव : संस्कारधानी राजनांदगांव में अनंत चतुर्दशी के अवसर पर निकाली जाने वाली विसर्जन झांकी अपनी भव्यता और सांस्कृतिक महत्व के लिए देशभर में प्रसिद्ध है। दशकों पुरानी इस परंपरा को शहरवासियों ने पीढ़ी दर पीढ़ी सहेज कर रखा है और इसे और भी अद्भुत बनाने के लिए हर साल अथक प्रयास किए जाते हैं। इस साल भी मंगलवार की रात पूरे उत्साह और धूमधाम के साथ विसर्जन झांकी निकाली जाएगी, जिसमें तीन दर्जन से अधिक मनमोहक झांकियां शामिल होंगी।
यह आयोजन न केवल राजनांदगांव की धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि शहर की सांस्कृतिक पहचान का भी अहम हिस्सा है। गणेश चतुर्थी के दस दिन बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा की मूर्तियों का बड़े धूमधाम से विसर्जन किया जाता है। भगवान गणेश की भव्य मूर्तियों के साथ झांकियों की एक श्रृंखला सजाई जाती है, जो भक्ति और निष्ठा का प्रतीक है।
हर साल निकाली जाने वाली यह झांकी गणेशजी को विदाई देने के साथ ही कला और संस्कृति का अद्भुत संगम है। शहर की समितियों द्वारा सजाई जाने वाली झांकियों में पारंपरिक, पौराणिक और सामाजिक संदेश शामिल किए जाते हैं। हर झांकी अपनी कहानी बयां करती है- कुछ में गणेशजी के जीवन की लीलाएं दिखाई जाती हैं, तो कुछ समाज को जागरूक करने वाले संदेश प्रस्तुत करती हैं। इस साल भी विभिन्न समितियों द्वारा तैयार की जाने वाली झांकियों में रचनात्मकता और आध्यात्मिकता का अनूठा मिश्रण देखने को मिलेगा।
राजनांदगांव की यह विसर्जन झांकी दशकों पुरानी परंपरा का एक अनमोल हिस्सा है, जिसने शहरवासियों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी है। यह आयोजन न केवल आस्था का उत्सव है, बल्कि लोगों को जोड़ने और संस्कृति को बचाए रखने का जीवंत प्रमाण है। विसर्जन की यह परंपरा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी और इसे हर साल उसी जोश और उत्साह के साथ मनाया जाएगा।