कमलेश यादव : संस्कारधानी राजनांदगांव शहर में जीवनदायिनी शिवनाथ नदी के तट पर स्थित ऑक्सीजोन यहां के निवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण श्वास स्थल है। कभी इस क्षेत्र को “बोइर झील” कहा जाता था शहर के लोग बड़े आनंद से बोइर (बेर) का स्वाद लेने यहां आते थे। समय ने करवट बदली और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई होने लगी। बोइर झील तो नहीं रहा लेकिन शहर के पर्यावरणविदों की मदद से यहां ऑक्सीजोन जरूर बना दिया गया। पर्यावरण प्रेमी जवाहर सिन्हा ने बताया कि यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगने के साथ ही पेड़ों की कटाई हो रही है और तटीय मिट्टी भी काटी जा रही है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों सन टू ह्यूमन फाउंडेशन द्वारा सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया गया था, लेकिन उसके बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। असामाजिक तत्वों की तो बात ही छोड़िए, सामाजिक और बुद्धिजीवी लोग भी पिकनिक के नाम पर यहां कूड़ा-कचरा छोड़ रहे हैं। किसी चीज़ को कहने और उसे करके दिखाने में अंतर होता है। बहुत से लोग पेड़ों को बचाने और स्वच्छता की बात करते हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही इसे जमीनी तौर पर साकार कर पाते हैं।
लोग अपने स्टेटस में छत्तीसगढ़ के हसदेव के जंगलों में पेड़ों की कटाई के वीडियो अपलोड कर रहे हैं, लेकिन हम अपने शहर की ऑक्सीजोन में पेड़ों की कटाई और स्वच्छता नहीं दिखा पा रहे हैं। पर्यावरण प्रेमी जवाहर सिन्हा ने कहा कि यहां पेड़ों की कटाई पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना बहुत जरूरी है। सभी लोग मिलकर इस खूबसूरत जगह को बचा सकते हैं।वह दिन दूर नहीं जब, यह भी बोइर झील की तरह हमेशा के लिए लुप्त हो जायेगी।
जवाहर सिन्हा ने शहरवासियों से अपील करते हुए कहा है कि,ऑक्सीजोन की रक्षा हमारा कर्तव्य है। यह न केवल हमारे आज के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी महत्वपूर्ण है। हम सभी को मिलकर इसे बचाना होगा जिससे पर्यावरणीय संतुलन बना रहेगा और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण संभव हो सकेगा।
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