कमलेश यादव : छत्तीसगढ़ के इस गांव ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया है. दरअसल, इस गांव के ज्यादातर लोग मूर्तिकला में निपुण हैं। आज हम इसी गांव के मशहूर कलाकार लव चक्रधारी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी अनोखी कलाकारी से देश-प्रदेश में खूब नाम कमाया है. बहुत कम उम्र में ही उन्होंने मेटल की मूर्तियाँ बनानी शुरू कर दीं , जिन्हें देखने के लिए लोगों का तांता लगा रहता हैं ।थनौद गांव दुर्ग जिला मुख्यालय से लगभग 10 किमी दूर पर स्थित है। उनके द्वारा बनाई गई शहीद वीर नारायण सिंह की 17 फीट की प्रतिमा राजधानी रायपुर में स्थापित है।
सत्यदर्शन लाइव को आर्टिस्ट लव चक्रधारी ने बताया कि, मुझे अपने गांव से बहुत प्यार है, मैं अपने गांव की मिट्टी का ताउम्र ऋणी रहूंगा. कभी ऐसे भी दिन थे जब लोग ताना मारते थे, देखो यह मिट्टी से सना हुआ कुम्हार जा रहा है. आज हमने अपने काम की बदौलत लोगों को बता दिया है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता. हमारे द्वारा बनाई गई मूर्तियों की काफी सराहना होती है। शिल्प कौशल को समझने वाले लोग दूर-दूर से हमारी कार्यशाला को देखने आते हैं।
जाने माने कवि डॉ. कुमार विश्वास ने की तारीफ
देश के जाने-माने कवि डॉ. कुमार विश्वास ने भी लव चक्रधारी के काम की तारीफ की है। ईश्वर ने इस युवा कलाकार को रचनात्मकता का वरदान दिया है। वह अपने काम से छत्तीसगढ़ का नाम रोशन कर रहे हैं। इस गांव की मिट्टी पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है। इसलिए मूर्तियों की मांग बढ़ रही है।
आर्टिस्ट लव चक्रधारी के पिता राधेश्याम चक्रधारी भी मूर्तिकला के क्षेत्र से हैं। अब युवा लव चक्रधारी ने इस काम को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल में प्राप्त की। बाद में भिलाई से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। वे राज्य के एकमात्र कलाकार हैं जिन्होंने मेटल की बड़ी मूर्तियां बनाई हैं, वह भी पारंपरिक तरीके से।
शिल्पकला सीखने वालों को निशुल्क प्रशिक्षण
गौरतलब है कि करीब 12000 की आबादी वाले थनौद गांव के वर्कशॉप में प्रशिक्षण पाने वाले नवोदित आर्टिस्ट निशुल्क सीख सकते हैं। अब तक करीब 500 कलाकार शिल्पकला में पारंगत होकर अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर चुके हैं। एक सत्र में मात्र 15 लोगों को प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्हें प्रशिक्षण के दौरान स्टाइपंड भी दिया जाता है। आर्टिस्ट लव चक्रधारी के पिता श्री राधेश्याम चक्रधारी का सपना था कि कला को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया जाए ताकि कला के क्षेत्र में विकास हो सकें।
लोगों की आस्था का सम्मान
नवरात्रि पर्व के दौरान यहां मेले जैसी भीड़ होती है। हजारों की संख्या में प्रदेश से लोग पैदल चलकर माता रानी की प्रतिमा लेने यहां आते हैं। मिट्टी से बनी प्रतिमा का यहां अलग ही महत्व है, पूरा माहौल भक्ति से सराबोर रहता है। गणेश चतुर्थी के दौरान भी यही स्थिति रहती है। महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्य प्रदेश जैसे दूसरे राज्यों से भी लोग यहां पहुंचते हैं।
युवा आर्टिस्ट लव चक्रधारी की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर आपके अंदर जुनून और मेहनत करने की लगन हो, तो किसी भी परिस्थिति में आप सफलता प्राप्त कर सकते हैं। उनके जीवन की यह यात्रा न केवल उनकी अपनी मेहनत का फल है, बल्कि यह सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।सत्यदर्शन लाइव उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हैं।
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