आदिवासी महिला जयंती बुरुदा ने FORBES INDIA W-POWER 2024 लिस्ट में बनाई जगह…अपने जिले की पहली महिला पत्रकार होने के अलावा, बुरुदा अपनी जनजाति कोया के सदस्यों को सशक्त बनाने में भी सक्रिय रही हैं

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ओडिशा के मल्कानगिरी जिले की एक आदिवासी महिला और पत्रकार जयंती बुरुदा (Jayanti Buruda) ने 2024 Forbes India W-Power लिस्ट में अपनी जगह बनाई है. Forbes India की इस लिस्ट में पूरे भारत से 23 सेल्फ-मेड महिलाओं को शामिल किया गया है.अपने जिले की पहली महिला पत्रकार होने के अलावा, बुरुदा अपनी जनजाति कोया के सदस्यों को सशक्त बनाने में भी सक्रिय रही हैं.

11 भाई-बहनों में नौवीं होने के नाते, बुरुदा ने अपनी मां को अपने गांव सेरपल्ली के आसपास के जंगल में लकड़ी इकट्ठा करने, गाय चराने और महुआ फूल तोड़ने में मदद की, जब तक कि उन्होंने मल्कानगिरी जिले के गांव के एकमात्र स्कूल में दाखिला नहीं ले लिया.फोर्ब्स इंडिया के अनुसार, हालाँकि, सभी विषयों को पढ़ाने वाले उनके दो शिक्षकों ने उन्हें एकेडमिक्स में रुचि बढ़ाने में मदद की, और वह 10 छात्रों की कक्षा में 10 वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा पास करने वाली एकमात्र लड़की बन गईं.

अपने परिवार के विरोध के बावजूद, बुरुदा ने मल्कानगिरी शहर के झोंपड पट्टी वाले इलाके में मजदूरों के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया, जहाँ उनकी सामाजिक कार्यों में रुचि बढ़ी और उन्होंने भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के लिए स्वयंसेवा करना शुरू कर दिया.यहां, उन्हें सत्ता के पदों पर बैठे पुरुषों से भेदभाव का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उन्होंने पत्रकारिता का अध्ययन करना चाहा ताकि उनके पद और काम को सम्मान मिले.

फिल्म निर्माता और पत्रकार बीरेन दास के मार्गदर्शन में, भुवनेश्वर के अजीरा ओडिशा स्टूडियो में एक महीने की इंटर्नशिप के बाद, बुरुदा ने कैमरा संभालना, इंटरव्यू और फिल्म एडिटिंग सीखी. हालाँकि उन्हें भुवनेश्वर में एक क्षेत्रीय समाचार चैनल में नौकरी मिल गई, लेकिन उन्हें कमतर आंका गया और उनकी कहानियों के लिए उन्हें श्रेय नहीं दिया गया. लेकिन इससे उनका संकल्प कमजोर नहीं हुआ.

2017 में, बुरुदा महिला पत्रकारों के लिए NWMI फ़ेलोशिप की पहली प्राप्तकर्ता बनीं. आर्थिक सहायता के अलावा उन्हें एक लैपटॉप भी दिया गया. इसके बाद उन्होंने 2023 में जंगल रानी पहल शुरू की, जो उन आदिवासी कहानियों के लिए एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है जो मुख्यधारा की मीडिया में नहीं आती हैं.

पिछले साल से वह इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के एक स्वतंत्र थिंक टैंक भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी से भी जुड़ी हुई हैं. एक क्लस्टर कोर्डिनेटर के रूप में, उनके काम में CFR (The Community Forest Resource Rights) के बारे में बात करना शामिल है.

बुरुदा ने फोर्ब्स इंडिया को बताया, “हम अपना खुद का मीडिया हाउस, अपना प्लेटफॉर्म बनाना चाहते हैं और इन कहानियों को प्रस्तुत करना चाहते हैं.”

(Translated by: गोपी साहू )

 

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