*एकता का मिसाल…ग्रामीणों ने एकजुट होकर बनाया पुल…आत्मनिर्भरता की दिशा में नई पहल…नहीं ली कोई सरकारी मदद…*

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फिल्म ‘नया दौर’ के उस दृश्य को कौन भूल सकता है जब ‘साथी हाथ बढ़ाना’ के आह्वान पर ग्रामीण एकजुट हो गए और सड़क बना दी। अपनी मेहनत से मुकद्दर बदलने की वह कहानी भले ही फिल्मी हो लेकिन असल ज़िंदगी में ऐसे नायकों की कमी नहीं है।

असम के एक ग्रामीण इलाके में लोगों को पुल के अभाव में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। इसके बाद उन्होंने जो कर दिखाया, वह अपने आप में एक मिसाल है। न कहीं से सरकारी मदद ली और न किसी मददगार का इंतजार किया। बस, ‘साथी हाथ बढ़ाना’ की तर्ज पर एक-दूसरे की ताकत बने और एक शानदार पुल खड़ा कर दिया। आज सोशल मीडिया ऐसे नायकों को सलाम कर ​रहा है।

यह पुल असम के कामरूप जिले में जलजली नदी के ऊपर बनाया गया है। पुल के निर्माण के लिए जिस राशि की जरूरत थी उसे करीब 7 हज़ार गाँव वालों ने मिलकर इकट्ठा किया है। पुल की खास बात है कि इसे लकड़ी से बनाया गया है। नदी के ऊपर बने इस 335 मीटर लंबे पुल के निर्माण में 10 गांवों का सहयोग लगा है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस पुल का निर्माण साल 2018 में ही शुरू कर दिया गया था। यह पुल मॉनसून सीजन में ग्रामीणों की काफी मदद करेगा क्योंकि उस सीजन में ग्रामीणों के लिए नदी को पार कर दूसरे गाँव जाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था, इसी के साथ अब क्षेत्र के बच्चों के लिए भी स्कूल तक पहुँचना आसान हो गया है।

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