क्या आपने कभी इंसान के रूप में भगवान को देखा है…रेल हादसे के बाद चारो तरफ चीख-पुकार मची हुई थी ऐसे में इस संकट की घड़ी में स्थानीय लोग आगे आए…किसी ने घायलों को खाना-पानी पहुंचाया तो किसी ने उनको मुफ्त में दवाएं पहुंचाईं

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ओडिशा के बालासोर में हुए रेल हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. यह हादसा भारत के सबसे भयावह रेल हादसों में एक है. हादसे के बाद घटनास्थल का मंजर एकदम भयावह हो गया. चीख-पुकार मची हुई थी. कहीं लोगों के शव पड़े थे, तो कहीं मलबा बिखरा हुआ था. बहुत से घायलों को मदद की जरूरत थी. ऐसे में इस संकट की घड़ी में स्थानीय लोग आगे आए. उन्होंने ट्रेन में फंसे लोगों को बाहर निकालने में मदद की. साथ ही पीड़ितों को हर संभव राहत भी मुहैया कराई. किसी ने घायलों को खाना-पानी पहुंचाया तो किसी ने उनको मुफ्त में दवाएं पहुंचाईं.

इसी दुर्घटना के दौरान मानवता की मिसाल पेश की फार्मेसी चलाने वाले एक युवक ने.मीडिया के रिपोर्ट के मुताबिक, 25 साल के सौभाग्य सारंगी दुर्घटनास्थल के पास के एक ही गांव में दवा का स्टोर चलाते हैं. हादसे के तुरंत बाद सारंगी ने घायलों को दर्द निवारक दवा पहुंचाई. इसके साथ ही उन्होंने लगभग एक हजार घायलों के लिए आठ हजार रुपये के टेटनस के इंजेक्शन मुफ्त में बांट दिए.मीडिया से बात करते हुए सारंगी ने बताया कि जब ये हादसा हुआ उस दौरान तेज आवाज सुनकर वो बाहर भागे. वहां मौजूद स्थानीय लोग घायल यात्रियों की मदद कर रहे थे. यात्रियों की उनके स्टोर के पास लाया गया था. ऐसे में सौभाग्य सारंगी ने घायलों को टिटनेस के इंजेक्शन और दर्द निवारक दवाएं देनी शुरू कर दीं. दूसरी दवाएं और बैंडेज भी दी.

बच्चों को खाना खिलाया
वहीं सारंगी के पड़ोसी भी लोगों की मदद में किसी भी तरह से पीछे नहीं रहे. रिपोर्ट के मुताबिक, 64 साल के रिटायर सरकारी कर्मचारी नीलांबर बेहरा और उनके परिवार ने मिलकर लगभग 50 बच्चों को खाना खिलाया और उन्हें अपने घर पर रहने की जगह दी. घटना के बाद नीलांबर बेहरा की पत्नी रीनामनी बहेरा ने मीडिया को बताया कि वो सभी बच्चे लगभग 14-15 साल के थे और पटना के रहने वाले थे. हमने उन्हें अपनी छत पर जगह दी और खाना खिलाया. वो अगली सुबह तक हमारे साथ थे. जिसके बाद हमने उन्हें अधिकारियों को सौंप दिया.

इनके अलावा 12 साल के रिद्धिमान ने भी हादसे के शिकार यात्रियों के घरवालों तक इस घटना की जानकारी पहुंचाई. जबकि उनकी मां ने घायलों का प्राथमिक उपचार किया. जबकि रिद्धिमान के पड़ोसी और किराना दुकान चलाने वाले महेश कुमार ने भी लोगों तक खाना और पानी पहुंचाया.वहीं राजमिस्त्री का काम करने वाले प्रताप सिंह घायलों को ले जाने के लिए ‘स्ट्रेचर’ बनाने का काम किया. इसके लिए उन्होंने कई सीमेंट की खाली बोरियों को अपने हाथ से सिला. उन्होंने गैस कटर के जरिए डिब्बों में फंसे लोगों को भी निकाला.

वहीं इसके अलावा कई स्थानीय लोगों ने हॉस्पिटल में जाकर ब्लड डोनेट किया. रक्तदान करने वाले लोगों की अस्पताल में लंबी कतारें लगी हुई थीं. बताते चलें कि हादसे पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग की वजह से दुर्घटना हुई है. इसकी जांच की जा रही है. रेल मंत्री के मुताबिक हादसे के जिम्मेदार लोग की पहचान कर ली गई है. साथ ही रेल मंत्री ने इस रेल हादसे की CBI जांच की सिफारिश की है.

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