कमलेश यादव : सदियों से आयुर्वेदिक और पारंपरिक चिकित्सा में गाय आधारित उत्पादों के औषधीय गुणों को स्वीकार किया गया है।आज हम बात करेंगे छत्तीसगढ़ के राजनांदगाँव जिले में स्थित “माँ पंचगव्य चिकित्सालय एवं गौरक्षा अनुसंधान केंद्र” के बारे में जहां गव्यसिद्ध वैद्य डिलेश्वर साहू द्वारा इस प्राचीन उपचार विधि से सैकड़ो मरीजों को लाभान्वित किया जा रहा हैं।
पंचगव्य क्या है
गव्यसिद्ध वैद्य डिलेश्वर साहू ने सत्यदर्शन लाइव को बताया कि पंचगव्य उपचार एक प्राचीन प्रथा है जिसमें गायों से प्राप्त पांच उत्पादों (पंच=पांच,गव्य= गाय के उत्पाद) का उपयोग शामिल है। पांच उत्पादों में गोमूत्र,गाय का दूध,गाय का गोबर,गाय का घी और गाय का दही शामिल हैं।माना जाता है कि पंचगव्य उपचार के कई स्वास्थ्य लाभ हैं,जिनमें रक्त को शुद्ध करना,प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देना,पाचन में सुधार करना और विभिन्न रोगों का इलाज करना शामिल है। यह अभ्यास अक्सर आयुर्वेदिक चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है और दुनिया भर में वैकल्पिक चिकित्सा में लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है।गाय के उत्पादों को आध्यात्मिक और साथ ही औषधीय गुणों से युक्त माना जाता है।
प्रशिक्षण की व्यवस्था
गौरतलब है कि “माँ पंचगव्य चिकित्सालय एवं गौरक्षा अनुसंधान केंद्र” एक वर्ष पहले शुरू की गई थी।हालांकि गाँव के गौशाला में गौमूत्र अर्क और विभिन्न उत्पाद बनाने का कार्य विगत कई वर्षों से चला आ रहा है।क्षेत्र के विशेषज्ञों की मदद से,अनुसंधान केंद्र ने विभिन्न गाय-आधारित उत्पाद विकसित किए है। उन्होंने ग्रामीणों को अपनी गाय पालने की प्रथाओं में सुधार करने के लिए प्रशिक्षित भी किया।समय समय पर जागरूकता के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है।
स्टीम बाथ से मरीज हो रहे लाभान्वित
सत्यदर्शन लाइव ने मरीजों से बातचीत की उनमें से एक मरीज ने अपना अनुभव साझा कि,जैसे ही स्टीम बाथ टब में गए उसने महसूस किया कि उसका तनाव दूर होने लगा है। उसकी त्वचा चमकने लगी क्योंकि गर्म वाष्प ने उसके छिद्रों को खोल दिया और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल दिया हैं।उन्होंने और आगे बताया कि वह कायाकल्प,तनावमुक्त और तरोताजा महसूस कर रहा है।
औषधीय गाय
गोमूत्र आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस्तेमाल किया जाने वाला अत्यंत लोकप्रिय है।ऐसा माना जाता है कि इसमें एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जो हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस को मार सकते हैं। गोमूत्र में खनिज और ट्रेस तत्व भी होते हैं जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं।इसका उपयोग त्वचा रोग,श्वसन संक्रमण और पाचन समस्याओं सहित कई स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है।
गव्यसिद्ध वैद्य डिलेश्वर साहू ने बताया कि गाय के गोबर का उपयोग आयुर्वेदिक उपचार के रूप में भी किया जाता है।ऐसा माना जाता है कि इसमें एंटीसेप्टिक और रोगाणुरोधी गुण होते हैं जो हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस को मार सकते हैं।गाय के गोबर को अक्सर एक पुल्टिस बनाने के लिए अन्य सामग्रियों के साथ मिलाया जाता है जिसे त्वचा की विभिन्न स्थितियों और घावों के इलाज के लिए त्वचा पर लगाया जाता है।
“माँ पंचगव्य चिकित्सालय एवं गौरक्षा अनुसंधान केंद्र” गौ भक्तों और जरूरतमंद मरीजों के लिए आशा की किरण बन गया है।इसने न केवल उन्हें आजीविका का एक स्रोत प्रदान किया बल्कि गाय संरक्षण के महत्व और उनके जीवन पर औषधीय प्रभाव के बारे में जागरूकता भी बढ़ाई हैं।इसके औषधीय उत्पाद आधुनिक दवाओं की तुलना में प्राकृतिक और सुरक्षित हैं,जिन्हें अक्सर सिंथेटिक सामग्री से बनाया जाता है।
(औषधीय प्रयोजनों के लिए गाय-आधारित उपचारों का उपयोग करने से पहले एक योग्य स्वास्थ्य चिकित्सक से परामर्श करना महत्वपूर्ण है)