कमलेश यादव:हमारे आस पास की छोटी सी दुनिया में ऐसे कई लोग है जो दिखने में तो साधारण होते है लेकिन उनकी छिपी हुई प्रतिभा विलक्षण होती है।आज हम बात करेंगे बेहद सरल और सादगी से जीवन जीने वाले टुमन पाल के बारे में।वैसे तो गौमूत्र के बारे में कई शोध हो गया है लेकिन यह शख्स गौमूत्र से विभिन्न औषधी निर्माण करने में दक्ष है।हालांकि इन्होंने कभी इसका व्यावसायिक रूप से उपयोग नही किया है।कम आय में भी अपनी परिवार का गुजर बसर कर रहे है।उन्हें अखबारों में आने की चाह है न किसी प्रशंसा की लालसा।अभी 15 सालों से एक निजी गौशाला में अपनी सेवाएं दे रहे है।
गौरतलब है कि दुर्ग जिले पाटन विकासखंड के छोटे से गांव जरवाय में टुमन पाल का जन्म हुआ था।बचपन से ही सेवा भाव का संस्कार माँ पिताजी से प्राप्त हुआ है।पढ़ाई के दौरान ही पिताजी के साथ खेती बाड़ी के काम मे हाथ बटाया करते थे।अभी उनके परिवार में 3 छोटे बच्चे है जिनकी शिक्षा दीक्षा बेहतर तरीके से कर रहे है।
टुमन पाल ने सत्यदर्शन लाइव को बताया कि पहाड़ों पर,जंगल में तथा चट्टानों पर चरने वाली गाय का गोमूत्र को आयुर्वेद की दृष्टि से ज्यादा फायदेमंद माना गया है। क्योंकि इन क्षेत्रों की गाय हरी घास के साथ इन क्षेत्रों में होने वाली औषधियों का भी सेवन करती है जिससे उनका असर उनके दूध व मूत्र में आ जाता है और उनके सेवन से लाभ मिलता है।
आयुर्वेद के अनुसार,गौमूत्र विष नाशक,जीवाणु नाशक और जल्द ही पचने वाला होता है। इसमें नाइट्रोजन, कॉपर, फॉस्फेट, यूरिक एसिड, पोटैशियम, यूरिक एसिड,क्लोराइड और सोडियम पाया जाता है।गौमूत्र दर्दनिवारक, पेट के रोग, स्किन प्रॉब्लम , श्वास रोग (दमा), आंतों से जुड़ी बीमारियां, पीलिया, आंखों से संबंधित बीमारियां, अतिसार (दस्त) आदि के उपचार के लिये प्रयोग किया जाता है।आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में तीनों दोषों की गड़बड़ी की वजह से बीमारियां फैलती हैं, लेकिन गौमूत्र पीने से बीमारियां दूर हो जाती हैं।दिमागी टेंशन की वजह से नर्वस सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है। लेकिन गौमूत्र पीने से दिमाग और दिल दोनों को ही ताकत मिलती है और उन्हें किसी भी किस्म की कोई बीमारी नहीं होती।शरीर में पाए जाने वाले विभिन्न विषैले पदार्थों को बाहर निकालने के लिए गौमूत्र पीना बहुत लाभदायक है।शारीरिक कमजोरी और मोटापा दूर करने के लिए भी गौमूत्र का सेवन लाभकारी होता है।