शख्सियत…छत्तीसगढ़ महतारी की बेटी लोक गायिका शिवानी जंघेल…धान की बालियों में भी संगीत की प्रतिध्वनि गुंजयमान होती है…”कनिहा में करधन” को यू-ट्यूब पर 50 मिलियन से ज्यादा बार देखा जा चुका है…पढ़िए प्रेरणादायी संगीत यात्रा की कहानी

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कमलेश यादव:धान का कटोरा छत्तीसगढ़,जिसकी आबो हवा में है संगीत की रूहानी एहसास।यहां की धान की बालियों में भी संगीत की प्रतिध्वनि गुंजयमान होती है।छत्तीसगढ़ की सरजमी ने कला संगीत के क्षेत्र में एक से बढ़कर एक कलाकार दिए है उन्ही में से एक है राजनांदगांव जिले की रहने वाली मशहूर लोक गायिका शिवानी जंघेल जिनके गाने “कनिहा में करधन” को यू-ट्यूब पर 50 मिलियन से ज्यादा बार देखा जा चुका है.शिवानी जंघेल कहती है कि गायन मेरे लिए श्रोताओं से संवाद का एक जरिया है।छत्तीसगढ़ की जर्रे जर्रे में संगीत ही संगीत है।लोक संस्कृति कालजयी होती है इसे हमे हमारे पूर्वजों ने धरोहर के रूप में सौपा है।

सत्यदर्शन लाइव से बातचीत में शिवानी जी ने बताया कि बचपन से वह पिता की लाडली थी।पिता स्व. जयवंत जंघेल 150 से भी ज्यादा गीत लिखे हुए है।जिसे मैंने बड़े जतन से सम्हालके रखा है।असल मे आपके अनुभव उसी जगह से पनपते है जहां से आप आते है।साहित्यिक और गायन के माहौल में ही पली बढ़ी हूं।आकाशवाणी रायपुर से मेरे पिताजी द्वारा लिखित अनेको गीत प्रसारित हुए है।जिसे बचपन से सुनते सुनते एक एक शब्द को मैंने “आत्मसात” कर लिया है।

संगीत की यात्रा
मेरे घर को “संगीत का मंदिर” कहे तो अतिशियोक्ति नही होगी।यही संगीत मेरी सांसो में समाई हुई है।इंद्र कला संगीत से संगीत में विशारद प्राप्त हुई है।पिताजी के लिखे गीतों को गाते हुए आगे बढ़ी।धीरे धीरे विभिन्न मंचो पर प्रस्तुति करने का मौका मिला। अनुराग धारा,चंदैनी गोंदा, लोक सुर जैसे सांस्कृतिक मंचो में अपनी लोक गायिकी का परचम लहराया।

छत्तीसगढ़ी फ़िल्म “जय बम्लेश्वरी मैया” में खुमान लाल साव जी के निर्देशन में गीत गाने का सौभाग्य मिला साथ ही दूसरी छत्तीसगढ़ी फ़िल्म “कारी” में दुष्यंत हरमुख जी के म्यूजिक निर्देशन में “तोला भरोसा मोर मया के” गाने ने लोगो का भरपूर मनोरंजन किया है।2017 में दीपक विराट तिवारी के निर्देशन में संगीत नाटक अकेडमी अवार्ड में “चोर चरणदास” का मंचन हुआ था जिसमे भी मुझे गाने का मौका मिला था।

पीटीएफ स्टूडियो द्वारा अल्बम “कनिहा म मोर करधन” इस गाने को यूट्यूब में 5 करोड़ से भी ज्यादा बार देखा गया है।मेरे पिताजी ने 45 साल पहले इस गीत की रचना की थी।आज भी यह गीत जेहन में गूंजती रहती है।पिताजी भौतिक रूप से भले इस दुनिया मे नही है पर उनकी लिखी हरेक गीतों में उनकी छवि का दर्शन मैं रोज करती हूं।गाने के लिखे बोल महज एक शब्द नही है वह मेरे लिए पूजा के समान है।

मुझे हमेशा प्रेरित किया है प्रकृति,जिज्ञासा भाव और मेरे पिता ने।संगीत लोगो की दिलो की दूरियों को मिटाती है।यह हमें इंसानियत से रूबरू करवाती है।आज जिस तेजी से इंसान आगे बढ़ रहा है उसमें रोबोट के गुण आ गए है संवेदना जैसे खत्म से हो गए है।संगीत संवेदनायुक्त इंसान बनने की सीख देती है। मेरी संगीत की शिक्षा गुरुवर बैद्यनाथ हाजरा के मार्गदर्शन में कम्प्लीट हुआ है।

शिवानी जी कहती है कि,छत्तीसगढ़ के अलावा ओड़िसा महाराष्ट्र,मध्यप्रदेश,दिल्ली जैसे राज्यों में अपनी लोक गायन की प्रस्तुति दे चुकी है।यूट्यूब में मेरे बहुत से गीत ऐसे है जिसे मिलयन बार देखा जा चुका है।छत्तीसगढ़ के माटी पुत्र खुमान लाल साव,गोविंद साव,लक्ष्मण मस्तुरिया,कविता वासनिक,पूनम विराट तिवारी के साथ मंच साझा की है।

छत्तीसगढ़ की संस्कृति की महक को शब्दो मे बयां नही किया जा सकता।यहां की हरेक पर्व की अपनी अलग महत्ता है।शिवानी जी के गायन ने यहां के सीधे सरल भाव वाले लोगो के दिलो में अलग जगह बनाई हुई है।छत्तीसगढ़ महतारी की बेटी शिवानी जंघेल ने देश विदेश में छत्तीसगढ़ी संस्कृति को लेकर सफलता की परचम लहरा रही है।सत्यदर्शन लाइव उनकी उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है।

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