“सफल व्यक्तित्व के हनुमान मंत्र” का विमोचन जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि जी महाराज के कर कमलों से हरिद्वार में होने के पश्चात पुरुषार्थ फॉउंडेशन द्वारा इसका भव्य लोकार्पण किया गया

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प्रतिष्ठित वैज्ञानिक,लोकप्रिय कवि एवं श्रीरामचरितमानस के प्रवक्ता डॉ आदित्य शुक्ल द्वारा लिखित पुस्तक “सफल व्यक्तित्व के हनुमान मंत्र” का विमोचन जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि जी महाराज के कर कमलों से हरिहर आश्रम, हरिद्वार में होने के पश्चात पुरुषार्थ फॉउंडेशन द्वारा इसका भव्य लोकार्पण रविवार 9 अक्टूबर को बैंगलोर में किया गया। शहर के प्रतिष्ठित नागरिक, कवि, साहित्यकार एवं श्रद्धालुओं से खचाखच भरे सभाभवन में प्रसिद्ध हार्ट सर्जन डॉ विवेक जावली एवं गीता प्रेस गोरखपुर के ट्रस्टी श्री मुरली मनोहर सराफ के नेतृत्व में पुरुषार्थ फाउंडेशन के प्रमुख श्री एम के गौड़, ममतामयी माता श्रीमती गिरिजा देवी एवं डॉ आदित्य शुक्ल के माता-पिता श्रीमती उषा शुक्ला एवं डॉ रामस्वरूप शुक्ल ने मिलकर इस किताब का लोकार्पण किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ विवेक जावली ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि डॉ आदित्य शुक्ल एक वैज्ञानिक हैं। वैज्ञानिक जो कहते हैं सत्य कहते हैं एवं प्रमाण के साथ कहते हैं। हनुमानजी के विभिन्न गुणों का आज के सन्दर्भ में सरल एवं स्पष्ट व्याख्या के कारण यह पुस्तक जन-जन में लोकप्रिय होगा ऐसा मेरा विश्वास हैं। धर्म, अध्यात्म तथा ज्ञान-विज्ञान के बीच सबंध एवं हमारे जीवन में इनका महत्व पर भी डॉ विवेक ने अपने विचार रखे। श्री मुरली मनोहर सराफ ने अपने उद्बोधन में कहा कि सफल व्यक्तित्व के हनुमान मंत्र आज के समय के लिए एक आवश्यक पुस्तक है। डॉ आदित्य शुक्ल की यह पुस्तक तथा उनके व्याख्यान युवा शक्ति व समाज के लिये अमूल्य निधि है। जिससे प्रेरणा पाकर युवा अपना समग्र विकास कर सकते हैं। वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार डॉ प्रेम तन्मय ने किताब की विशेषता बताते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि आदित्य जी जुलाहे के धागे की तरह पुस्तक में कभी आध्यात्म, कभी विज्ञान और कभी समाज को ऐसे जोड़ते हैं कि पता ही नहीं चलता कि कब वे विषय बदल रहे हैं। जैसे जुलाहे के धागे में गांठ दिखाई नहीं पड़ती। वैसे ही इस किताब में आध्यात्म, विज्ञान और समाज एकरूप में समाहित है। इसके पश्चात पुस्तक के लेखक डॉ आदित्य शुक्ल ने एक प्रेरणादायक व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए बताया कि हनुमानजी के जीवन से प्रेरणा लेकर हम स्वयं के जीवन को कैसे सुखमय बना सकते हैं।

मंत्रमुग्ध श्रोताओं को हनुमानजी की सफलता के विषय में बताते हुए उन्होंने कहा कि हनुमानजी न तो अंगद के जैसे कोई राजकुमार हैं और न ही सुग्रीव व विभीषण के जैसे किसी राज्य के अधिकारी। वे सबरी एवं केंवट के जैसे अबोध भी नहीं हैं। वे तो हमारे जैसे ही मध्यम वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। लेकिन अपने व्यक्तित्व में निहित कर्म, ज्ञान एवं भक्ति के बल पर वे श्रीराम दरबार के अनन्य सदस्य बन जाते हैं। जिस दरबार में प्रभु श्रीराम, सीताजी एवं तीनों भाइयों के साथ विराजमान हैं, उस दरबार में अपने व्यक्तित्व के बल पर स्थान प्राप्त करना हनुमानजी की सबसे बड़ी सफलता है।

कार्यक्रम के प्रारंभ में पंडित राजगुरु के नेतृत्व में श्रीमती सविता एवं आजाद शर्मा ने हनुमानजी की विधिवत पूजा-अर्चना की। इसके पश्चात सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। ततपश्चात श्रीमती ज्योति तिवारी के संचालन में श्री मणिशंकर ओझा, प्रीतम झा, अवनि बघेल एवं श्रीमती विद्या कृष्णा ने सुमधुर भजन प्रस्तुतकर वातावरण को भक्तिमय बना दिया। इसी क्रम में हनुमान चालीसा को कत्थक नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत करके रिद्धि शर्मा ने दर्शकों से वाहवाही बटोरी। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में उन्नति आदित्य एवं उत्कर्ष आदित्य ने मिलकर देव स्तुति तथा ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत किया। पुरुषार्थ फाउंडेशन की ओर से श्री एम के गौड़ ने स्वागत भाषण तथा श्री आनंद शुक्ल के लेखक परिचय प्रस्तुत किया। डॉ अजय दीक्षित, श्री आजाद शर्मा, हरिश्चंद्र झा, डॉ ज्ञानमूर्ति, श्री सचिन पंड्या, श्री नारायण मंत्री तथा डॉ श्रीनारायण समीर ने डॉ आदित्य शुक्ल द्वारा प्रस्तुत व्यक्तित्व निमार्ण में हनुमान जी भूमिका शृंखला से जुड़े अपने विचार एवं संस्मरण सुनाए। इस अवसर पर शहर के अनेक साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा डॉ आदित्य शुक्ल का सम्मान किया गया। सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालन उन्नति एवं उत्कर्ष ने मिलकर प्रभावी ढंग से किया। पुरुषार्थ फाउंडेशन के ट्रस्टी श्री श्यामसुंदर शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। तत्पश्चात हनुमानजी की आरती के बाद कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम कब संयोजन में श्रीमती अमृता शुक्ला तथा श्रीमती अंजना शर्मा की विशेष भूमिका रही।

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