हनुमान जयंती पर बालोद सहित पूरे छत्तीसगढ़ में कार्य कर रही समाज सेवा और लोगों की मदद में अग्रणी संकट मोचन के रूप में पहचान बना चुके भावना फाउंडेशन को 1 साल पूरे हो चुके हैं। यह फाउंडेशन से जुड़े हर वालंटियर के लिए खुशी की बात है। तो वही इस फाउंडेशन से जुड़े लोगों ने पूरे 1 साल में कोरोना काल की चुनौती के बावजूद अपने मदद की मुहिम को इस कदर जारी रखा कि बालोद ही नहीं बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में अब इसका नाम होता है। कोरोना में मदद करने के जुनून से लेकर रक्तदान और अन्य क्षेत्रों में भी सहयोगी भावना फाउंडेशन को एक साल हुए हैं। पिछले साल 16 अप्रैल को इसकी शुरुआत हुई थी। लोगों का संकट मदद करके दूर करने वाली इस फाउंडेशन की वर्षगांठ संकट मोचन हनुमान की जयंती पर ही मनाई जा रही है। जो अपने आप में एक बेहतर संयोग है। डौंडीलोहारा के रहने वाले दीपक थवानी जो पिछले 10 साल से रक्तदान के क्षेत्र में कार्य कर रहे थे कोरोना के समय इन्होंने अपनी एक टीम बनाई और पूरे छत्तीसगढ़ में अलग अलग जगहों से उनके इस कार्य में सहयोगी मिल गए। दीपक थवानी खुद 40 बार रक्तदान कर चुके हैं और अनेको लोगो को रक्त दिलवा चुके हैं। लोग इनके पास रक्त के लिए अगर आ जाये तो कभी उनको खाली हाथ नही लौटाया। अभी हाल में ही जगदलपुर निवासी देविका स्वामी के पुत्र यशवंत स्वामी को कैंसर है,जैसे ही ये बात भावना फाउंडेशन के सदस्यों को मिली उन्होंने उस बच्चे की मदद के लिए एक अभियान जुटा दिया है और महज 15 दिनों में लगभग 1 लाख 30 हजार रुपये इकट्ठे किये। बालोद और जगदलपुर के अधिकारियों ने भी खूब मदद की। अभी उस बच्चे की कीमोथेरैपी चल रही है। पर्यावरण में भी भावना फाउंडेशन ने एक राखी, एक पेड़ का अभियान चलाया था और उसमें पूरे छत्तीसगढ़ से असंख्य लोगो ने भाग लिया और पेड़ लगाए और उस पेड़ की संरक्षण की संकल्प भी लिए।स्वास्थ्य क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाने के साथ-साथ कोरोना टीका लगाने के लिए लोगो को जागरूक करने में अहम भूमिका निभाई। जिस समय लोग वैक्सीन लगाने के लिए डरते थे उन्होंने घर- घर जाकर,फोन के माध्यम से और मोबाइल में अलग-अलग वीडियो बनाकर लोगो को जागरूक करने का काम किया। कोरोना में मजदूर को राशन और राहत सामान भी बंटा। लॉक डाउन में जहां से भी मेसेज आ जाये कि वहाँ कोई जरूरत मंद हैं वहाँ किसी माध्यम से या खुद पहुँच कर मदद की गई। कोरोना के समय जब ऑक्सीजन की कमी चल रही थी तब खुद अपने पैसों से ऑक्सीज़न मशीन और सेलेंडर लेकर लोगो तक घर पहुचाया और साथ ही जशपुर में निःशुल्क ऑक्सीजन सेवा चालू करवाई गई। किराये की गाड़ी ली और उसको निःशुल्क एम्बुलेंस बनाकर खुद पी.पी.ई किट पहन कर कोरोना मरीजो को हॉस्पिटल या हॉस्पिटल से घर पहुँचाया। साथ ही साथ कोरोना महामारी से मरने वालो को उनका हक दिलाने के इन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है कि कोरोना एक महामारी है जिसके आधार पर कोरोना से मरने वालो को 4 लाख रुपये मुआवजा मिलना चाहिए। ये केस अभी हाई कोर्ट में पेडिंग है। ऐसे कई कार्यों के जरिए भावना फाउंडेशन रोज नया अध्याय लिखती है।
काम को देख लोग बोलते हैं छग के सोनू सूद
लोगों के बीच बालोद जिले के डौंडीलोहारा के रहने वाले दीपक थवानी इस एक साल में छत्तीसगढ़ के सोनू सूद की तरह काम करने वालों में पहचान बना चुके हैं। असल जिंदगी में वे सोनू सूद की तरह ही लोगों की हर तरह से मदद कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने हर जिले में मदद की मुहिम छेड़ने के लिए भावना फाउंडेशन बनाई है। जिसके तहत कई लोगों को अब तक मदद भी पहुंचाई जा चुकी है। चाहे एंबुलेंस की बात हो चाहे ऑक्सीजन सिलेंडर चाहे राशन। हर तरह की मदद कोरोना प्रभावित या कंटेनमेंट जोन में रहने वाले लोगों को की गई है।
इस तरह हुई शुरुआत
दीपक थवानी ने मदद की ये मुहिम अपनी गोद लेने वाली मां(मौसी) संगीता बख्तानी निवासी धमतरी की कोरोना से 8 मार्च 2021 को मौत के बाद शुरू की. उनकी गोद लेने वाली मौसी मां धमतरी में रहती थी। जहां वह कोरोना का शिकार हुई, उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन उनकी जान नहीं बच पाई और तभी से दीपक थवानी ने तय किया कि वह कोरोना पीड़ितों की मदद की मुहिम चलाएंगे और लोगों की जान बचाने की कोशिश करेंगे। तब से लेकर उनकी मुहिम जारी है। वर्तमान में वे डौंडीलोहारा में रहते हैं। धमतरी में भी वे अपने गोद लेने वाली मौसी मां के साथ रहते थे।अभी वे लोहारा में अपनी मां शारदा थवानी के साथ रहते हैं। उनके पिता व मौसा दोनो का निधन हो चुका है। दरअसल में उनकी मौसी का कोई बच्चा नहीं था। तो बचपन से ही उनकी मौसी ने उन्हें गोद लेकर पालन पोषण किया था। उनके जाने के बाद उनकी ममता का मान बढ़ाने के लिए और लोगों की जान बचाने के लिए भावना फाउंडेशन के जरिए मदद का सिलसिला जारी है।
कोरोना वायरस से जंग में प्रशासन के सहयोग के लिए सभी आगे आ रहे हैं। इस विषम परिस्थिति में भावना फाउंडेशन लाेगाें की मदद के लिए देवदूत से काेई कम नहीं है। जहां भी, जब भी जिस चीज की जरूरत पड़ती है इस फाउंडेशन के लाेग मदद के लिए हाजिर हाे जाते हैं। वह भी सब काम मुफ्त में करते हैं। फाउंडेशन केवल बालाेद, धमतरी जिले में ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ के 9 जिले में 500 से अधिक वाॅलिटियर अपनी सेवा दे रहे हैं।
गोद लेने वाली मां की मौत के बाद बनाया ग्रुप और जुट गए सेवा में
दीपक थवानी ने बताया कि 1 मार्च 2021 को मेरी मां (गोद लेने वाली) कोरोना पॉजिटिव आई। उसे हॉस्पिटल में भर्ती किया था, लेकिन तबियत ज्यादा खराब हो जाने के कारण धमतरी में 8 मार्च को उनकी माैत हो गई। इस दिन से मैंने सोच लिया कि अब लोगों को सही समय में इलाज मिले और उनकी जान बचाई जाए इसीलिए भावना फॉउंडेशन ग्रुप बनाया। इस ग्रुप में मेरे साथ अन्य जिले के लोगाें जुड़ते गए। कंटेनमेंट ग्राम रायपुरा, बड़भूम रायपुर धमतरी अन्य सहित कई गांव के लाेगाें काे भावना फॉउंडेशन की ओर से राशन देकर मदद की