महिला कमांडो यह नाम सुनकर आपको हाथो में बंदूक लिए एक सैनिक की छवि मन मे आ जाती होगी।लेकिन आज जिस महिला कमांडो की बात कर रहे है वह पूर्णतः गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित होकर सामाजिक बदलाव की बहुत बड़ी मिसाल बनी हुई है।लाल साड़ी,हाथ में डंडा और मुंह में सीटी लिए शाम के वक्त जब गांव की गलियों में निकलती है तो गांव में शांति का माहौल छा जाता है।छत्तीसगढ़ के 18 जिलों में तकरीबन 1.50 लाख महिला कमांडो सक्रिय रूप से कार्य कर रही है।महिला कमांडो की जनक पद्मश्री शमशाद बेगम है जिन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने यह मुहिम शुरू की थी।
उत्तरी अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन (NACHA) के अध्यक्ष गणेश कर और पद्मश्री शमशाद बेगम की सौजन्य मुलाकात शुक्रवार को रायपुर में हुई ।गणेश कर ने महिला समूहों को अंतरराष्ट्रीय मंच देने की बात कही साथ ही बदलते परिदृश्य में डिजिटलीकरण के तरफ ध्यानाकर्षित किया।छत्तीसगढ़ के स्वयंसेवी संगठनों के लिए एक विशेष योजना की बात करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रपोजल रखने की बात कही।संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि के साथ मे महिला कमांडो के किये हुए विभिन्न कार्यो को साझा करने की बात हुई है।श्री गणेश कर महिलाओं के द्वारा संचालित महिला कमांडो के रचनात्मक कार्यो से बहुत खुश हो गए।
महिला कमांडो नशामुक्ति,अंधश्रद्धा उन्मूलन,बाल विवाह जैसे सामाजिक बदलाव की जीवंत उदाहरण बनी हुई है।जैसे ही शाम होती है महिला कमांडो की सक्रिय सदस्य एक जुट होकर पूरे गांव की भ्रमण करती है।इस कार्य को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने 200 महिला कमांडो को आरक्षक के समकक्ष दर्जा दिए हुए है।