कोंडागांव:—बस्तर की ग्रामीण जीवनशैली हमेशा से ही पूरे विश्व को आकर्षित करती है…उतना ही आश्चर्यजनक है यहा के लोगो का रहन-सहन,खान-पान और लोकसंस्कृति।बस्तर ,यूनिवर्सिटी का शोध केंद्र रहा है।कोंडागांव जिले के छोटे से गांव भैंसाबेड़ा में जेवियर्स यूनिवर्सिटी भुवनेश्वर के स्टूडेंट्स बस्तर का जीवनशैली सीखने समझने के लिए रुके हुए है।
जीवनशैली पर शोध
बस्तर के निःस्वार्थ ग्रामीण जो हमेसा जिंदादिली से रहते है..परिस्थितिया चाहे जो भी हो…ग्रामीण जीवन शैली,गांव के लोगों का जीवन कैसा है,किस तरह से दैनिक जीवन में काम कर रहे हैं,आय के मुख्य स्रोत क्या हैं,किन परिस्थितियों में लोग किस तरह कम से कम आय में सुविधाएं प्रबंध करते हैं,किस तरह से गांव के लोग शहर से जुड़ रहे हैं,गांव में आधुनिक जीवन शैली का क्या प्रभाव हो रहा है इत्यादि बिन्दुओं पर काम कर रहे हैं,ग्रामीण जीवन प्रबंधन मुख्य विषय है |
विश्वनाथ देवांगन छात्रों की करते है मदद
विश्वनाथ देवांगन जी यूनिवर्सिटी के छात्रों का हरसम्भव मदद करते है…पिछले वर्ष भी कुछ छात्रों का यहा आना हुआ था।यहा कि लोकसंस्कृति की छटा सबका मन मोह लेती है।बस्तर की विभिन्न जगहों के विषय मे सार्थक चर्चा से छात्रों का बस्तर के प्रति नजरिया ही बदल गया है।विश्वनाथ देवांगन जी छात्रों का उत्साहवर्धन करते रहते है।
किसी भी समुदाय या क्षेत्र विशेष को जानने के लिए आपको उस जीवनशैली के करीब जाकर वैसा ही जीवन जीना पड़ेगा…बस्तर के प्राकृतिक सुंदरता के तरह ही वहाँ के लोग भी बहुत सीधे-सरल है।जो भी यहा आता है वही का हो जाता है।इसीलिए यहाँ का जीवनशैली हमेशा से ही शोध का केंद्र रहा है।