बेंगलुरु: इस दुनिया मे सबसे पहले हम एक इंसान है और इंसानियत हमारा धर्म।कर्नाटक के कोलार के दो मुस्लिम भाईयों ने अपनी ज़मीन बेचकर 25 लाख रुपये इकट्ठे किए ताकि लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों की मदद हो सके. बचपन में मां-बाप को खो चुके दोनों भाईयों के मुताबिक जब वे 5 साल की उम्र में कोलार में रहने आए तो हिंदू, सिख और मुसलमान, सभी ने सहारा दिया. उन्हें खाना खिलाया, जब तक वे अपने पैरों पर खड़े नहीं हो गए. ऐसे में इस मुश्किल दौर में जरूरतमंदों की मदद करने के मकसद से उन्होंने अपनी ज़मीन बेच दी.
तजम्मुल पाशा और मुजम्मिल पाशा का घर गोदाम में बदल गया है. दोनों भाईयों के जज़्बे की मिसाल सभी दे रहे हैं. लॉकडाउन कि वजह से परेशान दिहाड़ी मजदूरों और अन्य लोगों की मदद करने के इरादे से इन दोनों ने अपनी ज़मीन बेच दी.
व्यापारी तजम्मुल पाशा ने कहा कि “बचपन में हमने गरीबी देखी है. उस समय हमारी मदद हिन्दू, मुस्लिम, सिख सब लोगों ने की. हमारे मां-बाप नहीं थे. उस समय उन सभी ने हमें खाना खिलाया. अभी मैंने, मेरे भाई और कुछ दोस्तों ने पैसा दिया है. स्थानीय बच्चे पैकिंग करने में मदद कर रहे हैं. आरटी नगर में हमारी एक जमीन थी. हमने वह 25 लाख रुपये में बेच डाली. उस पैसे से हम लोगों की मदद कर रहे हैं.”
दोनों भाई केले और रियल इस्टेट का धंधा करते हैं. उनके सेवा कार्य में उनके दोस्तों ने भी मदद की. इनका जज़्बा देखकर पुलिस ने भी पास देने में देर नहीं की ताकि जरूरतमंदों तक वक्त रहते मदद पहुंच जाए. तजम्मुल पाशा ने बताया कि ”हम जरूरतमंदों के घर सामान पहुंचा रहे हैं. हम मास्क और सैनिटाइजर भी दे रहे हैं. हम चाहते हैं कि कोई गरीब इस लॉकडाउन की वजह से भूखा न रहे.”
दोनो पाशा भाईयों के जज़्बे और सोच की चर्चा सभी की ज़ुबान पर है. उनमें वह जज़्बा है जिसमें इंसानियत का फ़र्ज़ निभाते वक्त धर्म को तरजीह नहीं दी जाती.