हिंदुस्तान की वो अकेली ऐसी महिला होंगी, जो जेनरेटर स्टार्ट करने से लेकर गाड़ियों के कल-पुर्जे की घिसाई और फिर उसकी पेंटिंग का काम यानी सब कुछ खुद अकेले ही करती है। उसका हाथ किसी भी कुशल मैकेनिक से कहीं ज्यादा सफाई से और तेजी से चलता है। हालांकि उसके पास न तो बड़ी जगह है और ना ही कोई आधुनिक मशीन या औजार, उसके पास अगर कुछ है तो वो है उसका बुलंद हौसला।
दरभंगा शहर के लालबाग मुहल्ले में अगर आप जाएं तो वहां की एक तंग गली में सबीर हिट पेंटर नाम की वर्कशॉप के बड़े चर्चे सुनने को मिलेंगे। दरअसल, यह वर्कशॉप एक अकेली महिला चलाती है और सारे काम खुद ही करती है। इस वर्कशॉप को चलाकर वह अपने पांच बच्चों का पेट पाल रही हैं और उनकी पढ़ाई-लिखाई का जिम्मा संभाल रही हैं।
पति की मौत हो गई, पर किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया
वजीफन खातून का 1990 में मढ़ौरा (सारण) के साबिर हुसैन से निकाह हुआ। पति ने पटना के नाला रोड में दुकान खोलकर पेंटर का काम शुरू किया। कुछ दिन बाद, जब कारोबार धीमा पड़ा तो काम की तलाश में सपरिवार दरभंगा आ गए। किडनी और कैंसर की बीमारी से कारण साल 2007 में वजीफन के पति साबिर की मौत हो गई। दरभंगा से दिल्ली तक वजीफन भागती रहीं पर पति को सही इलाज नहीं मिल सका। पति का इंतकाल हो गया। एक बेटा औश्र चार बेटियों की जिम्मेदारी वजीफन के सिर पर आ गई। उनकी छोटी बेटी यासरीन उस वक्त सालभर की थी। मुसीबत की इस घड़ी में ना तो ससुराल वाले आगे आए और मायके वालों ने भी वजीफन का साथ छोड़ दिया। पूरी तरह से अकेले रह गई वजीफन ने हार नहीं मानी। पति के काम में कभी-कभार हाथ बंटाते समय जो कुछ भी वजीफन ने सीखा, उसे अपने जीवन में आजमाना शुरू कर दिया।
पहले लोग हिकारत से देखते थे, अब करते हैं सलाम
वजीफन के इस काम को शुरू-शुरू मे लोग बहुत हिकारत की नजर से देखते थे, लेकिन धीरे-धीरे वजीफन के बुलंद हौसले की तारीफ होने लगी और शहर में उन्हें सम्मान मिलने लगा। वजीफन का मानना है कि जिंदगी से क्या शिकवा, हमने तो अपना रास्ता ढूंढ लिया। वजीफन कहती हैं कि मुश्किल आने पर घबराना नहीं, बल्कि उसका सामना करना चाहिए, आगे खुदा की मर्जी।
इतना काम कि फुर्सत नहीं मिलती…
आज स्थिति ये है कि वजीफन के पास इतना काम है कि उन्हें अपने काम से दो पल की भी फुर्सत ही नहीं मिलती। इलाके और दूर-दराज के भी लोग वजीफन की कारीगरी के मुरीद हैं। उसके यहां कार और बाइक की पेंटिंग के लिए लाइन लगी रहती है। लोग वजीफन खातून की मेहनत और लगन की सराहना करते नहीं थकते हैं। स्थानीय लोग भी वजीफन खातून जैसी महिला को समाज के लिए प्रेरणा मानते हैं। एक अकेली महिला ने मुसीबत के पलों में दूसरों का मुंह देखने के बजाय अपने हुनर से आने उसका सामना किया। किसी शायर ने शायर वजीफन जैसी महिलाओं के लिए ही लिखा है- हमने उन तुद हवाओं में जलाए हैं चिराग जिन हवाओं ने उलट दी है बिसातें अक्सर।