मानवता के लिए जीने वाला शख्स…एक चिकित्सक ने गरीबों और वंचितों को उपचार मुहैया कराने के लिए ‘एक रुपया’ क्लीनिक खोला है

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बुरला के कच्चा मार्केट इलाके में यह क्लीनिक सुबह सात से आठ बजे तक और शाम छह बजे से सात बजे तक खुला रहेगा. रामचंदानी ने कहा कि उनकी पत्नी शिखा रामचंदानी एक दंत चिकित्सक हैं और वह भी उनकी मदद कर रही हैं.

ओडिशा के सम्बलपुर जिले में एक चिकित्सक ने गरीबों और वंचितों को उपचार मुहैया कराने के लिए ‘एक रुपया’ क्लीनिक खोला है. ‘वीर सुरेंद्र साई इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस एंड रिसर्च’ (विम्सर) के मेडिसिन विभाग में सहायक प्रोफेसर शंकर रामचंदानी ने बुरला कस्बे में यह क्लीनिक खोला है, जहां मरीजों को उपचार कराने के लिए मात्र एक रुपया शुल्क देना होगा.

38 साल के रामचंदानी ने कहा कि वह गरीबों और वंचितों के लिए मुफ्त में उपचार मुहैया कराने के लंबे समय से इच्छुक थे और यह क्लीनिक इसी इच्छा को पूरा करने की दिशा में उठाया गया कदम है. डॉक्टर ने कहा, ‘‘मैंने विम्सर में सीनियर रेजीडेंट के तौर पर काम करना शुरू किया था और सीनियर रेजींडेट को निजी क्लीनिक में उपचार की सुविधा देने की अनुमति नहीं है, इसलिए मैं उस समय ‘एक रुपया’ क्लीनिक आरंभ नहीं कर सका. हाल में मुझे सहायक प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत किया गया और सहायक प्रोफेसर के तौर पर मुझे कार्य के घंटों के बाद निजी क्लीनिक में काम करने की अनुमति है, इसलिए मैंने किराए के मकान में अब अपना क्लीनिक शुरू किया है.”

यह पूछे जाने पर कि वह एक रुपया क्यों लेते हैं, रामचंदानी ने कहा, ‘‘मैं गरीबों एवं वंचितों से एक रुपया लेता हूं, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि वे यह महसूस करें कि वे नि:शुल्क में सेवा ले रहे हैं. उन्हें लगना चाहिए कि उन्होंने अपने उपचार के लिए कुछ राशि दी हैं.”

बुरला के कच्चा मार्केट इलाके में यह क्लीनिक सुबह सात से आठ बजे तक और शाम छह बजे से सात बजे तक खुला रहेगा. रामचंदानी ने कहा कि उनकी पत्नी शिखा रामचंदानी एक दंत चिकित्सक हैं और वह भी उनकी मदद कर रही हैं. क्लीनिक का शुक्रवार को उद्घाटन किया गया था और पहले दिन 33 मरीज उनके क्लीनिक में आए.

एक कुष्ठ रोगी को अपनी गोद में उठाकर उसे उसके घर तक पहुंचाने के कारण 2019 में सुर्खियों में आए रामचंदानी ने कहा, ‘‘मेरे दिवंगत पिता ब्रह्मानंद रामचंदानी ने मुझे नर्सिंग होम खोलने को कहा था, लेकिन इसके लिए बड़े निवेश की आवश्यकता होगी और उसमें गरीबों को एक रुपए में इलाज मुहैया कराना संभव नहीं हो पाएगा, इसलिए मैंने ‘एक रुपया’ क्लीनिक खोला है.”

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