रायपुर:-“मेहनत को किस्मत का सादर प्रणाम”ये चंद लाइने समर्पित है ऐसे शख्स के ऊपर जिन्होंने दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर सफलता का एक नया अध्याय लिखा है।नाम चित्रसेन साहू…जीवन मे सब कुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन एक दिन रेलवे स्टेशन में हुआ हादसा पूरी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट बन गया…दोनो पैर को गंवा देना पड़ा…पर चित्रसेन साहू जी ऐसे ही हार मानने वालों में से नही थे…दृढ़ इच्छाशक्ति और परिवार दोस्तो के दुआ के बदौलत नित नए सफलता के कीर्तिमान स्थापित किये है।
अफ्रीका महाद्वीप के सबसे ऊंचे पहाड़ किलिमंजारो पर तिरंगा लहराना हर भारतीय के लिए गर्व की बात है..प्रोस्थेटिक पैर और बुलन्द हौसलों के दम पर 144 घण्टे चढ़ाई के बाद उन्होंने 5685 मीटर ऊची चोटी पर फतह हासिल किए…दूर दृष्टि, कड़ी मेहनत,और पक्का इरादा के धनी चित्रसेन साहू जी ने बस अपने उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित किया…यह सन्देश है हजारों लाखों नवजवानों को जो थोड़ी सी असफलता में हार मान लेते है…और प्रयास करना छोड़ देते है।
एक छोटे से गांव बेलौदी जो बालोद जिले में आता है कौन जानता है गांव का ये बालक एक दिन पूरे छत्तीसगढ़ का गौरव बनेगा।पिताजी कृषक थे।जब जब अपने पिताजी को काम करते हुए देखते थे मन मे एक स्वप्रेरणा जागृत होता था कि एक दिन जरूर अपने गांव अपनी मिट्टी का नाम रौशन करूँगा।पिताजी से ही सीखा समय का प्रबंधन कैसे किया जाता है।
शिक्षा
शुरुआती शिक्षा ग्राम बेलौदी में ही हुआ ,2014 में गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कालेज बिलासपुर से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।अभी वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य शासन में अपनी सेवाएं दे रहे है।
सहयोग अपनो के लिए
चित्रसेन का मानना है कि अपने हिस्से का काम सबको करना चाहिए और काम करने के लिए कभी नाम और पैसे की जरूरत नही होती ।काम करने की लगन ,जज्बा और सबसे महत्वपूर्ण होता है काम की शुरुआत करना फिर लोग जुड़ते जाते है।दूसरे दिव्यांगों को मोटिवेट भी करते है।खासकर किसी हादसे से शिकार लोगो के सपनो को पंख देने की कोसिस जारी है।कृत्रिम हाथ एवं पैर लगवाने में लोगो की मदद करना मन मे एक शुकुन देता है।
दिव्यांगों के ड्राइविंग के लिए खुला रास्ता
चित्रसेन साहू जी ने यह मुद्दा प्रमुखता के साथ उठाया था जिसके परिणामस्वरूप दिव्यांगता के कारण वाहन के पंजीयन और ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आरटीओ मना नही कर सकता,आरटीओ पहले रजिस्ट्रेशन करे, ड्राइविंग टेस्ट ले,उसके बाद कोई निर्णय ले।।।
प्रेरणा
परिवार और दोस्तो का साथ हमेशा नई ऊर्जा देता है।अरुणिमा सिन्हा माउंटेनियर और मेजर डीपीसिंह प्रथम रनर और माउंटेन मैन राहुल गुप्ता यह सभी मेरे प्रेरणा के प्रकाश पुंज है।।जिनके शिक्षा ,आदर्शो और मार्गदर्शन के बदौलत मैं यह मुकाम हासिल कर पाया।।।
खिलाड़ियों को किया प्रेरित
बास्केटबॉल खिलाड़ी चित्रसेन साहू जी कहते है खेल और खिलाड़ी दोनो एक स्वस्थ समाज का निर्माण करते है…खेल से शरीर स्वस्थ रहता है स्वस्थ शरीर मे स्वस्थ मन रहता है और अच्छे मन से वह वो सब कुछ हासिल कर सकता है जो वो प्राप्त करना चाहता है।लेकिन इन उपलब्धियों से भी बड़ा है एक अच्छा इंसान बनना जो किसी के तकलीफ में काम आए।
सन्देश युवाओं के लिए
जिंदगी के आपाधापी और बढ़ते प्रतियोगिताओं के बीच बस खुद पर भरोसा रखे यकीनन सफलता आपके कदम चूमेगी।।प्रत्येक पहलू में बस उसके सकारात्मक पक्ष को देखे ।चित्रसेन साहू की जिंदगी एक खुली अध्याय है उन हजारों लाखों व्यक्तियों के लिए जो हिम्मत हार बैठे है।तो जरा मुस्कुराइए और आगे बढ़िए…. बाधाएं में इतनी हिम्मत नही की आपको रोक दे… उठो और चल पड़ो अपने मंजिल की ओर।।।