पँचायत विशेष…योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुचाने वाले पँचायत सचिव…मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से कर रहे है नियमित शासकीय सेवक घोषित करने की मांग…देश की इकाई “ग्राम पंचायत”से जुड़ी खास बातें जिसे आपको जानना जरूरी है

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कमलेश यादव,रायपुर:पूरे छत्तीसगढ़ में ग्राम पंचायतो का काम बन्द पड़ा हुआ है पिछले कई दिनों से ग्राम पंचायत सचिव अपने विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर है।गौरतलब है कि पंचायती राज के शुरू होने के इतने वर्षो के बाद भी पँचायत सचिव नियमित शासकीय सेवक घोषित नही किया गया है।समस्त शासकीय योजनाओं का धरातल में क्रियान्वयन करने वाला अंतिम व्यक्ति सचिव ही होता है।दिन रात परिश्रम करके पँचायत में विकास को एक मूर्त रूप देता है लेकिन आज खुद अभाव में जीवन व्यतीत कर रहा है।विगत दिनों से क्रमिक भूख हड़ताल में सभी पँचायत सचिव शासन के समक्ष शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों को रख रहे है।

क्रमिक भूख हड़ताल में बैठे पँचायत सचिव जिनकी आंखों की पीड़ा सब कुछ बयां कर रही है।महंगाई के इस दौर में उन्हें सुविधाओ से वंचित रखा गया है।दिन रात एक करके पँचायत के हरेक नागरिकों की समस्या को अपना बनाकर गांव की खुशहाली में बहुत बड़ा योगदान देते है।शासन ने पूरे प्रदेश में चिकित्सा सुविधा की क्रांति सभी के लिए लागू की है परंतु कोई सचिव यदि किसी प्रकार से गम्भीर बीमारी से पीड़ित हो जाये।इलाज के लिए किसी भी प्रकार से कोई सुविधा नही है।कोरोना कॉल में भी प्रथम पंक्ति के रूप में लोगो की सुख दुख के भागीदार बनने वाले आज मानसिक रूप से बहुत दुखी है।

पँचायत सचिव,नियमित शासकीय सेवक के साथ साथ विभागीय रिक्त पदों पर शत प्रतिशत पदोन्नति एवं त्रिस्तरीय क्रमोन्नति की स्वीकृति,पूर्णकालीन पेंशन की स्वीकृति की मांग को लेकर शासन से अपनी गुहार लगा रहे है।सभी विभागों के कार्यो को आम जनता तक पहुचाने वाले पँचायत सचिव, खुद के आर्थिक योजनाओं के लिए तरस रहे है।

कोंडागांव के पँचायत सचिव विश्वनाथ देवांगन ने बताया है कि ऐसे कई सचिव है जो वर्तमान में मानसिक, आर्थिक रूप से बहुत पीड़ित है।गांव में जाकर लोगो के खुशियों की वजह बनने वाले आज आर्थिक तंगी से जूझ रहे है।सोशल मीडिया में ऐसे कई पत्र वायरल हुआ है जिसमे कुछ सचिव आत्मदाह करने के लिए घोषणा कर दिए है।सभी के खुशहाल भविष्य की कल्पना करने वालो का भविष्य ही अंधकारमय है।निश्चित ही छत्तीसगढ़ सरकार को जल्द ही इस विषय मे कोई ठोस कदम उठाना चाहिए।

गांव से ही देश बनता है और छत्तीसगढ़ की आबादी की अधिकांश हिस्सा गांव में निवास करता है।गांव में विकास की गति कुछ दिनों से ठहर सी गई है।आम नागरिकों को भी काफी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि ग्राम पंचायत सचिव के माध्यम से ही विभिन्न योजनाओं की जानकारी आम लोगो तक पहुचती थी।विकास की गति को यदि पटरी पर लाना है तो ग्राम पंचायत सचिवो की मांग को त्वरित रूप से निराकरण शासन को करना चाहिए।ताकि फिर से पंचायतो का काम सुचारू रूप से चल सके।

चूंकि सत्यदर्शन लाइव चैनल सकारात्मक खबर के साथ ग्रामीण भारत की तस्वीर को निष्पक्ष रूप से सभी के समक्ष रखने का प्रयास करते रहा है।हमारे संवाददाता ने छत्तीसगढ़ के लगभग पंचायतो में जाकर वहां की वस्तुस्थिति की समीक्षा की है।महात्मा गांधी की कल्पना वाले भारत के निर्माण की अंतिम इकाई वाले पँचायत में पिछले कुछ दिनों से ताला लगने से आम लोगो को कई समस्याओं से गुजरना पड़ रहा है।पँचायत सचिव के मांगो पर उचित निर्णय लेते हुए जल्द ही समाधान का हिस्सा बनने की जरूरत है।ताकि फिर से पूरा प्रदेश हरेक मामले में अव्वल रहे।

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