शिक्षक की अनोखी पहल…न सिर्फ बच्चों को शिक्षित कर रहा है बल्कि आत्मनिर्भर भी बना रहा है

610

टीचर्स बच्चों का भविष्य संवारते हैं. वह अपने ज्ञान के ज़रिये बच्चों को एक अच्छा मार्ग दिखाते हैं. एक ऐसे ही टीचर हैं, जिनके प्रयास सराहनीय हैं. झारखंड के एक गांव के एक स्कूल के प्रिंसिपल कोविड महामारी के दौरान शिक्षा को दूसरे स्तर तक ले जाने की पहल की. रांची के दुमका के दुमथर गाँव के उत्क्रमित मध्य विद्यालय ’के प्रिंसिपल सपन कुमार ने हाल ही में एक पूरे गाँव को एक क्लास-रूम में बदलकर सुर्खियाँ बटोरी थीं, जहाँ दीवारें ब्लैकबोर्ड की तरह काम करती हैं, जिस पर छात्र लाउडस्पीकर के माध्यम से शिक्षकों द्वारा दिए गए असाइनमेंट को हल करते हैं.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने एक ओर बेहतरीन पहल की है, जिसके तहत वो बच्चों को चाक, चटाई और झाड़ू बनाने में मदद करने के लिए आत्मनिर्भर बना रहा है.कुमार ने कहा कि स्टूडेंट्स अपनी क्लास के बाद चाक, मैट और झाड़ू का उत्पादन कर रहे हैं और ब्लैकबोर्ड बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री स्थानीय संसाधनों से किसी भी रसायन या पेंट का उपयोग किए बिना प्राप्त की जाती है.

कुमार के अनुसार, उन्होंने बच्चों को आत्मनिर्भरता के महत्व के बारे में जानने के लिए पहल की क्योंकि उनका मानना ​​है कि जीवन में सफल होने के लिए बच्चे का सर्वांगीण विकास महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा, “मुझे चाक खरीदना बहुत महंगा लगा. इसलिए, मैंने एक विकल्प की तलाश शुरू कर दी. कुछ दिनों तक सोचने के बाद मैंने इसे स्वयं उत्पादित करने का फैसला किया क्योंकि कच्चा माल प्राप्त करना बहुत कठिन नहीं था.”

उन्होंने आगे कहा, “अब, बच्चे हर दिन 200 से अधिक चाक बना रहा है. इसी तरह, हर बच्चे को अपने घरों के बाहर बैठने के लिए एक चटाई की आवश्यकता होती है. इन मटकों को ताड़ के पत्तों का उपयोग करके बनाया जाता है.”बच्चे भी इन नई स्किल्स को सीखते वक़्त खुश हैं. वाकई में अगर ऐसा प्रिंसिपल हो, तो बच्चों को आगे बढ़ने से शायद ही कुछ रोक सकता है!

Live Cricket Live Share Market

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here