जिद, जिजीविषा,जीवटता और जीवंतता एक साथ किसी एक आदमी में देखनी हो तो आपको छत्तीसगढ़ के चित्रसेन साहू के बारे में जरूर जानना चाहिए, पढ़ना चाहिए। एक ऐसा नायक जिसने बेहद संघर्षो से जिंदगी की शुरुआत की और आसमान की उन ऊंचाइयों तक पहुंचे, जहां पहुंचना किसी के लिए सपने से कम नहीं है।देश को भी गर्व हुआ जब चित्रसेन साहू अफ्रीका महाद्वीप के माउंट किलिमंजारो फतह कर नेशनल रिकॉर्ड कायम किया था।गवर्नमेंट स्पाइन इंस्टीट्यूट एवं फिजियोथैरेपी कॉलेज अहमदाबाद द्वारा देश का प्रथम कार्बन फाइबर फूट बनाया गया है , जिसे छत्तीसगढ़ राज्य के पर्वतारोही चित्रसेन साहू अपने भविष्य के पर्वतारोहण अभियान में उपयोग करेंगे।
यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि इससे पहले देश में कभी भी कोई भी कार्बन फाइबर फुट नहीं बनाया गया है जो भी कार्बन फाइबर फूट बाजार में उपलब्ध है वह सभी विदेशी हैं एवं उसका लागत मूल्य बहुत अधिक है जिसके कारण हर कोई व्यक्ति उसे क्रय करने हेतु सक्षम नहीं है। चित्रसेन साहू ने बताया कि पर्वतारोहण करते हुए उन्हें सबसे अधिक दिक्कत कृत्रिम पैर के वजन और पर्वतारोहण में उपयोग किए जाने वाले जूते का वजन अधिक हो जाने से बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। 6000 मीटर तक के पर्वत में कम दिनों का सफर होता है इसीलिए उन्होंने किलिमंजारो अफ्रीका और कोजियसको ऑस्ट्रेलिया का सफर कर लिया फिर भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा किंतु आप अधिक ऊंचे पर्वत जैसे एवरेस्ट में एसा रिस्क नहीं ले सकते है।
वहा कम से कम वजन ले जाना होता है और एनर्जी भी काफी लगती है जिसे बचाने हेतु पैर का वजन कम करना और पैर को चोट से बचाना अधिक आवश्यक है। जिसके बाद उन्हें इस पैर का आइडिया आया। उन्होंने काफी जगह प्रयास किया कि कोई ऐसा पैर बना दे पर बात कहीं भी नहीं बनी, विदेशो में भी संपर्क किया गया पर हाथ कुछ नहीं लगा कुछ लोग बनाने के लिए कोशिश करने के लिए तैयार थे पर उसके लिए 15 से 20 लाख लग रहे थे। फिर मैं धीरेन जोशी सर जो कि गवर्नमेंट स्पाइन इंस्टीट्यूट एवं फिजियोथैरेपी कॉलेज में प्रोफेसर हैं और वरिष्ठ प्रोस्थेटिस्ट एवम् अर्थोटिस्ट है से संपर्क किया। फिर उन्होंने इस विषय में काम करने में सहमति जताई, करीबन 1 साल की मेहनत के बाद यह पैर बनाने में सफलता हासिल हुई है। शुरुआती दौर के टेस्टिंग में सफल रहा है अभी इसको पर्वतारोहण करके ट्रायल करना है जिसके बाद फीडबैक के आधार पर कुछ-कुछ सुधार किया जाएगा। साथ ही टीम पैर को फ्रास्ट बाइट से बचाने के लिए इंसुलेशन लाइनर बनाने में भी काम कर रही है जोकि -30 से -40 डिग्री में पैर को ठंडी से बचाएगी ।
इस पैर के बन जाने के कारण कृत्रिम पैर का वजन कम हो जाएगा साथ ही जूते पहनने की जरूरत नहीं है इसमें सीधे क्रैंपॉन्न जो बर्फ में ग्रिप का काम करता है उसको सीधे अटैच किया जा सकता है। साथ ही कार्बन फाइबर बने होने के कारण विषम परिस्थितियों में भी पैर खराब होने की संभावना कम है एवं पैर मैं चोट लगने की संभावना भी कम रहेगी।
चित्रसेन साहू ने धीरेन जोशी सर जय दीवान डॉ मिथिलेश सोनी डॉक्टर सोलंकी सर डायरेक्टर और पूरे गवर्नमेंट स्पाइन इंस्टीट्यूट एवं फिजियोथैरेपी कॉलेज का धन्यवाद ज्ञापन किया है साथ ही गुजरात शासन का भी बहुत-बहुत आभार प्रकट किया है। संस्था द्वारा या पैर फ्री में दिया जा रहा है जो विदेश में करीबन 15 से 20 लाख मूल्य का हो सकता है। श्री साहू ने बताया की उनके आने वाले सेवन समिट जिसमे एवरेस्ट भी शामिल है का पर्वतारोहण करने में आसानी होगा और कुछ दिन अभी वह इसे ट्रायल में रखे हैं फीडबैक के बाद इसमें कुछ सुधार किया जाएगा और इसे बेहतर बनाने का प्रयास किया जाएगा।
इससे पूर्व चित्रसेन साहू ने माउंट किलिमंजारो फतह कर नेशनल रिकॉर्ड कायम किया था । माउंट किलिमंजारो अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची पर्वत है ,चित्रसेन यह उपलब्धि हासिल करने वाले देश के प्रथम डबल एंप्यूटी है। चित्रसेन साहू ने बताया कि दोनों पैर कृत्रिम होने की वजह से पर्वतारोहण में बहुत कठिनाइयां आती है और यह अपने आप बहुत बड़ा चैलेंज है, जिसको उन्होंने स्वीकार किया है और इनका लक्ष्य है सात महाद्वीप के साथ शिखर फतह करना है।अवगत हो कि चित्रसेन साहू पर्वतारोही होने के साथ-साथ राष्ट्रीय व्हीलचेयर बास्केटबॉल खिलाड़ी, ब्लेड रनर हैं।उन्होंने विकलांगो के ड्राइविंग लाइसेंस के लिए भी बहुत लंबी लड़ाई लड़ी है और शासन की अन्य नीतियो को अनुकूल बनाने के लिए काम कर रहे हैं।