बस हो चाहे जीवन रोज हर वक्त सड़क पर दौड़ती है,यही जीवन की गतिशीलता है |
रामू के लिए भी सुबह की किरण नई उम्मीद और अभिलाषा,उर्जा लेकर आती है और सांझ की संध्या असंख्य संघर्षों का इतिहास लिख दिया होता है | मानव जीवन में प्रेम हर किसी के दिल में समाया है किन्तु कोई खपाता है तो कोई लुटाता है,कोई समय की चाल में चकित होकर भटकता है | जीवन सुख दुःख के संघर्षों की मिश्रित कहानी है जो सुख पाता वो कभी इतराता कभी सबक पाता तो जो दुख पाता वो जीवन को भी चाय की तरह फूंक-फूंक कर पीता है |
रामू जीवन के युवावस्था में शामिल सभी युवाओं की तरह एक नेक दिल मेहनती और समझदार युवा है | जो जीवन में मेहनत करके दो वक्त की रोटी तो कमाना चाहता है पर जीवन की आधुनिक दौड़ में पीछे है,एक आधुनिक जीवन शैली और तथाकथित सभ्यता की अंधी दौड़ ने प्रेम जैसे पवित्र रिश्तों को भी किनारा कर दिया है | यह बात रामू अच्छी तरह जानता है | रोज की तरह काम पर निकल गया गाड़ी पहुंची गाड़ी सरपट दौड़ी |
मन ही मन रामू विचलित होता है,कहते हैं की प्यार अंधा होता है,और सच भी है शायद!बचपन से ‘मीना’ को रामू बहुत पसंद था पर किस्मत का खेल कि मीना बनी मेम साब,और रामू बन गया कंडक्टर सड़क छाप! संयोग या कुदरत का करिश्मा कि कंडक्टर साहब की गाड़ी से ही मीना रोज ड्यूटी जाती! पर बिलकुल भी मैम साब को पता नहीं कि कंडक्टर ही रामू है, बस चलती जाती है, रामू के दिल पर हर पल एक बात चुभती कौंधती जाती है – मैं बेरोजगार हूं न, इसलिए, मेरी मंजिल चलती है फिर आती है!
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*विश्वनाथ देवांगन”मुस्कुराता बस्तर”*
कोंडागांव,बस्तर,छत्तीसगढ़