दिल में जब प्रेम उफान पर,जवानी परवान पर,जोश खौलने लगता है,तब सत्रह साल के विक्रांत के जिस्म में लहूं दौड़ने लगता है,दिल के अरमान पर…सत्रह वर्ष की उम्र से रक्तदान करने वाले रक्त कमांडो विक्रांत नायक की दिलचस्प कहानी….उनकी खुद की जुबानी | छत्तीसगढ़ बस्तर के चर्चित अन्तर्राष्ट्रीय खोजी लेखक युवा हस्ताक्षर विश्वनाथ देवांगन उर्फ मुस्कुराता बस्तर की विक्रांत नायक से खास खोजी बातचीत में आज पढ़िये….”लहू तेरे संग,मैं हरदम”

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छत्तीसगढ़ बस्तर का उत्तर बस्तर कहा जाने वाला कांकेर जिला जहां से एक छोटा सा कस्बा सरोना जहां पर एक ऐसी शख्सियत के संकल्प की कहानी की शुरूआत होती है,जिसके जिद से पूरे बस्तर संभाग में रक्तवीरों की फौज खड़ी होती है | रक्तदान के जाबांज युवा कमांडो  विक्रांत नायक की ऐसी कहानी जिसमें कुछ कर दिखाने की ललक ने उनको एक ऐसी शख्सियत में तब्दील कर दिया जो रक्तदाता ग्रुप के जन्मदाता के रूप में जाने जाते हैं,लोगों को एक वाट्सअप मैसेज और कॉल पर रक्तदान के लिये तैयार हो जाने वाले असंख्य रक्तदाताओं के ग्रुप के संकल्पित सेनापति की कहानी | आज मिलिये….खास खोजी मुलाकात….”लहू तेरे संग,मैं हरदम |” अपनी जुबानी…अपनी कहानी |

नाम – विक्रांत नायक
पिता का नाम – श्री नेकराम नायक व मेरी माता श्रीमति देवकी बाई नायक,जन्म स्थान – सरोना जिला कांकेर,स्थायी पता – नया बाजार चौक सरोना
पेशा – डायरेक्टर MK VIDEO
फोटोशूट वीडियोशूट व वर्तमान में  LIC Advisior के रूप में कार्यरत हूं |

मेरा व्यक्तिगत अनुभव व परिचय –
मेरा जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। जन्म के बाद मेरी शिक्षा दीक्षा गॉव के ही प्राथ. शाला में ही काकेंर जिले में सम्पन्न हुई. इसी बीच में मेरे दाखिला गॉव के सबसे पुराने व चर्चित विघालय में हुई. शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सरोना.इस विघालय में मेरे पिता जी ने भी इसी विघालय शिक्षा ग्रहण किये थे ये मेरे लिए यह गर्व की बात थी,मै अपने विघालय में एवरेज स्टूडेंट्स था मै विघालय के सभी शिक्षकों का प्रिय था, मेरी प्रारंभ से रचनात्मक क्रियाकलाप में रूचि थी। इसलिए मैने स्काऊट गाईड में शामिल हुआ उसके पश्चात हायर एजुकेशन मे नेशनल कैडेट कोर N. C. C. व राष्ट्रीय सेवा योजना N. S. S. ज्वाईन किया चूंकि एक बेस्ट स्टूडेंट्स होने के कारण व अच्छे व्यक्तित्व के कारण मुझे इनके लीडरशिप का मौका मिला व कई स्थानों पर कैंप में जाने का मौका मिला | इसके पश्चात मैने अपनी ग्रेजुएशन व पोस्ट ग्रेजुएशन की आगे की पढ़ाई काकेंर के शा. भानुप्रतापदेव PG collage में स्वाध्यायी के रूप में संपन्न हुई | मैने हिन्दी साहित्य, राजनीति विज्ञान में, एम. ए किया व पी. जी. डी. सी. ए. व कम्प्यूटर हार्डवेयर का कोर्स किया है,चूकिं मुझे फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी का शौक था.और यह शौक नें मुझे नयी दिशा प्रदान की इसे मैने 2010 से अपने व्यवसाय के रूप में स्थापित किया | जिससे मुझे काफी लाभ हुआ व पढ़ाई व व्यवसाय एक साथ जारी रहा |जिससे कारण मैने सरकारी नौकरी में कभी ध्यान नहीं दिया।आज मेरे साथ 8 से 10 सहयोगी है जो. निरंतर कार्यरत जो इस कार्य को गति प्रदान कर रहे हैं,मुझे बहुत खुशी होती है कि कम से कम इतने लोगों को मेरे इस कार्य से रोजगार प्राप्त हो रहा है।और पुरे प्रदेश व अन्य राज्यों में हमारा कार्य बहुत अच्छे से चल रहा है।

रक्तदान के क्षेत्र में अनुभव.
जब मेरी उम्र 17 वर्ष की थी 2005 में उस समय मैने अपना पहला रक्तदान किया व मैने अपने परिवार के रजामंदी से किया | क्योंकि उस समय रक्तदान लोगो के लिए बहुत बड़ी बात थी | इसलिए मेरे लिए उनकी सहमति बहुत जरूरी थी।  चूकिं परिवार के लोग रक्तदान के लिए पहले से ही जागरूक थे। मै अपने पिता के नेक कार्यो से बहुत प्रभावित था व उन्ही की तरह नेक इंसान बनना चाहता हूं । इस बीच में जब भी मुझे मौका मिलता था मै रक्तदान करता था,किन्तु पहले इस तरह तीव्रता नही थी आज कम से कम हर तीन महिने या चार महिने में रेग्युलर रक्तदान कर रहा हूं मुझे बहुत प्रसन्नता होती है रक्तदान कर के |

रक्तदान के मेरे दिल को व्यथित करने वाले पल..
सन 2016 की बात है जब मेरे साथ कार्य करने वाले मेरे सहयोगी की बुआ का तबीयत अचानक खराब हो गया ब्लड उनके शरीर से रूक ही नहीं रहा था।उस समय उसकी स्थिति देखकर मुझे बहुत पीढ़ा हुई चाह कर भी एक युनिट से जादा ब्लड नही दे पाया स्थिति बहुत गंभीर थी व हास्पिटल में कई लोगो को रक्त के लिए भटकते हुए देखकर मन कचोट सा गया,क्योंकि रक्त की कमी को पूरा करने के लिए मैने बस्तर संभाग को चुना क्योंकि अधिकतर एनिमिक मरीजों की संख्या बस्तर में सबसे ज्यादा है जागरूकता की कमी व लोगो के मन में रक्तदान के प्रति भय को हमेशा के लिए समाप्त करने चाह ने नया रास्ता दिखा दिया | शुरूआती दौर में थोड़ी तकलीफों व लोगो का मेरे प्रति व्यवहार जटिलता भरा रहा लोग मुझे बेवकूफ़ व समय की बर्बादी करने वाला कहने लगे किन्तु मैने निश्चय कर लिया था तो किसी का कोई परवाह नही किया व अपने कार्य में लगा रहा सोशल मीडिया व वाट्सप ग्रुप मेरे लिए वरदान साबित हुआ |

रक्तदान ग्रुप का निर्माण…
तब मैने इसके लिए विकल्प ढूंढा मैने पहले इसी सत्र मे 2016 के अतिंम चरण में एक रक्तदाता ग्रुप का निर्माण करने का निश्चय किया।बहुत चितंन मनन के बाद लगा कि ग्रुप का निर्माण जिले के नाम से किया जाए क्योंकि किसी राज्य में जिले का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। सबसे पहले मैने अपने ही जिले में एक रक्तदाता ग्रुप का निर्माण किया,रक्तदाता ग्रुप काकेंर के नाम से शुरूआत में कुछ ही लोग थे धीरे धीरे ग्रुप में लोगो की सख्या बढ़ने लगी।बहुत तीव्रता से रक्तदान होने लगा काकेंर जिले के लोग स्वेक्षिक रक्तदान को समझने लगे व बढ़ चढ़कर रक्तदान करने लगे

उसके पश्चात मुझे लगा कि पुरे बस्तर संभाग के हर जिले के रक्तदाता ग्रुप का निर्माण करना चाहिए | फ़िर मैने रक्तदाता ग्रुप कोन्डागॉव का निर्माण 2016-17 के बीच में किया वहा पर मुझे अच्छे – सज्जन लोग मिले, इस तरह जगदलपुर दन्तेवाड़ा, सुकमा नारायणपुर, बीजापुर बैलाडीला, आदि की जिलो मे रक्तदाता ग्रुप का निर्माण हो गया लोगी की संख्या बहुत ज्यादा होने के कारण रक्तदाता ग्रुप 1,रक्तदाता ग्रुप 2 हिसाब से हर जिले में निर्माण हो गया है,चूकि अब हम तहशील तथा गावों में सहयोगियों के माध्यम से रक्तदाता ग्रुप का निर्माण कर रहे हैं | हमे बहुत अच्छे परिणाम मिल रहे हैं | लोग स्वतः ही हमारे रक्तदाता ग्रुप मे जुड़ने की इच्छा जाहिर कर जुड़ रहे हैं व बहुत अधिक संख्या में रक्तदान कर लोगो को जीवनदान दे रहे हैं।

महिला रक्तदाता ग्रुप का निर्माण
साथ ही साथ महिलाएं भी काफी सक्रीय है रक्तदान को लेकर मैने महिलाओं के लिए भी रक्तदाता ग्रुप का निर्माण किया है Woman Blooddoner Group के नाम से जिसमें सक्रीय रूप से 70 महिलाएं जुड़ी हुई है। जो रक्तदान करती है,ऐसे मातृत्व शक्ति को मेरा सत् सत् नमन है जो निरंतर सहयोग प्रदान कर रही है। यह रक्तदाता ग्रुप में जुड़े हुए सभी रक्तवीरो के सहयोग व सभी के अथक प्रयास से आज बस्तर संभाग में बहुत हद तक लोगो को सहायता मिल रही है व जीवनदायिनी के रूप में लोगो को निरंतर सेवा प्रदान कर रही है |

फोटोग्राफी व वीडियो शूटिंग का शौक
फोटोशूट व वीडियो ग्राफी हल्का पुल्का कर लेता हूँ,बस्तर को मेरे विचार से छत्तीसगढ़ का स्वर्ग की तुलना की जा सकती है वनो से अाच्छादित, प्राकृतिक सौंदर्य, कई प्रकार के रत्नो से परिपूर्ण, मनोरम दृश्यो की कल्पना से मात्र मन मुग्ध हो जाता है | जो व्यक्ति इस जगह पर निवास करता है वो अन्यत्र कही जाना नही चाहता, यहीं का हो जाता है |

युवा अपने को पहचानें
युवाओं में स्वयं का कोई रोजगार स्थापित करने होंगे,जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार आएगा,इसके लिए युवाओं को जागरूक करने व उनके अधिकारों का। ज्ञान करवाना आवश्यक है। साधनों के आभाव व अज्ञानता के कारण लोगो का शोषण हो रहा है,लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होगें तो सब संभव है आप उन्हे मार्ग दिखा सकते चलना उन्ही को है |

युवाओं में संगत पर रंगत का बढ़ता क्रेज
ये बात बिल्कुल सही है,पर इन सारी असंगतियो को दुर करने के लिए शिक्षा ही एक मात्र ऐसा उपाय है जिससे वे अपने अधिकारों व मानवीय मूल्यों के आधार पर स्वंय का मूल्यांकन कर सके व अपने अच्छे बुरे व दुसरो की भलाई के लिए सजग रहे  |

युवाओं को संदेश
मैं सब युवाओं को यही कहना चाहता हूं कि कर्म को प्राथिमकता दें, किसी के उपर कभी भी आश्रित न रहें, क्योंकि उनके अच्छे व दृढ़ इच्छा शक्ति व नेक कार्यो से ऐसे स्थान प्राप्त कर सकते हैं जिसका लोग अनुसरण करें लोग उनकी मिसाले दे, रचनात्मक क्रियाकलाप से जुड़े रहे अपना विकास करे व लोगो लोगे आगे लाने व उनके सर्वांगीण विकास के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहे, समाज व देश का विकास तभी संभव है जब युवा युवती पाश्चात्य संस्कृति व व्यसनों से दुर रहे, क्योंकि हर साधारण व्यक्ति में आसाधारण प्रतिभा छुपी होती है। उन्हे पहचाने व उन्ही के आधार पर कार्य करें |

युवा और सोशल मीडिया
जी इस बात पर जोर देना चाहूंगा आज का युग सोशल मीडिया का पर अगर हम इसका सद्उपयोग करे तो हमारे लिए वरदान से कम नहीं है। मैने पौराणिक कथाओं में सुना है कि सागर का जब मंथंन हुआ तो दो अहम चिजे निकली अमृत व जहर ठीक उसी प्रकार सोशल मीडिया में ये दोनो तत्व विघमान है अगर हम इसका सद्उपयोग करते हैं आवश्यकता के अनुसार ये हमारे लिए अमृत से कम नहीं है किन्तु हम इनका दुरुपयोग करते हैं तो निश्चित रूप से ये जहर के बराबर है। खासकर आजकल के युवा अच्छे विचारों आत्मसात न करके पाश्चात्य सभ्यता की मोह माया में फंसकर इसका दुरुपयोग कर रहे हैं व अपना सारा सारा समय अश्लीलता व अनुपयोगी चीजो पर नष्ट कर देते हैं | ये निराजनक है मै उन माता पिता ये कहना चाहता हूं कि अपने बच्चों पर विशेष नजर रखे कि वो क्या कर रहे हैं उनकी संगति किनके साथ व सोशल मीडिया पर क्या कर रहे हैं। तभी सुधार संभव है।

परिवार का महौल जैसा होगा बच्चा निश्चित रूप से वही महौल में ढलेगा | बच्चों की परवरिश ऐसे होनी चाहिए कि वे इन व्यसनों से दुर रहे व अपने पारंपरिक पेशे व व्यापारिक स्थिति के अनुसार ही उन्हे ढाले व उन्हे पिता नही दोस्त की तरह समाझवे तभी आप इन बुराइयों को समाप्त कर सकते हैं।

ऐसी फोटोग्राफी जो चित्र नहीं बहुत कुछ कहती है,
जी,मैने मोबाइल से एक पिक लिया था वो मेरे दिल के काफी करीब है ढलती हुई शाम का प्रकृति हमे इस तस्वीर में ये संदेश देती है कि आपका आज का कार्य समाप्त हो चुका है  सूर्यास्त के साथ। सूर्योदय के बाद नये जीवन का उदय होता हर सुबह की किरणें नया जीवन लेकर आती हैं,जिसमे आप अपना बेस्ट दे सकते हैं।

ये थे हमारे आज के खास युवा शख्सियत विक्रांत नायक | फिर एक नये शख्सियत की कहानी उनकी ही जुबानी,लेकर जल्द हाजिर रहूंगा | तब तक के लिये……!
जय हिंद |
✍️ मुस्कुराता बस्तर

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