शिक्षिका की प्रेरणादायी कहानी…आर्थिक तंगी के चलते खेतों में मजदूरी करने से लेकर टीचर बनने का तक का सफर आसान नहीं था…अब पीएच डी करने के बाद सिविल सर्विस जॉइन करने का देखती हैं सपना

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गोपी साहू:हर व्यक्ति के अंदर एक हीरो छिपा हुआ है जरूरत है उसे पहचानने की।हमारे आस पास में ही हमसे जुड़े हुए ऐसे कई लोग है जो रचनात्मकता की दिशा में कार्य करते रहते है।ये वे लोग है जो बड़ी खामोशी से सामाजिक बदलाव का हिस्सा बनते है।सबकी एक कहानी होती है अखबारों की सुर्खियों से कोसो दूर कुछ नया करने के जज्बे से बस चलते रहते है।आज की कहानी भी एक ऐसी लड़की की है जिन्होंने संघर्षों से एक मुकाम हासिल की है।

“सेलवामारी 28 साल की उम्र में इडुकी राज्य में हाई स्कूल टीचर बनी। उसके लिए बचपन में आर्थिक तंगी के चलते इलायची के खेतों में मजदूरी करने से लेकर टीचर बनने का तक का सफर आसान नहीं था। इस होनहार लड़की का बचपन खेतों में अपनी मां के साथ मजदूरी करते हुए बीता। सेलवामारी के पिता उसकी मां और दो बहनों को छोड़कर घर से चले गए। उसके बाद उसने कम उम्र में ही पढ़ाई करते हुए मां के साथ इलायची के खेतों में काम शुरू किया।

उसने तमिलनाडु से स्कुली पढ़ाई पूरी करने के बाद तिरूवनंतपुरम के गवर्नमेंट वीमेंस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। कॉलेज में उसे सबसे ज्यादा मुश्किल भाषा को लेकर आई क्योंकि वह बहुत अच्छी मलयाली भाषा नहीं जानती थी। न ही उसकी इंग्लिश अच्छी थी। लेकिन इन सबके बीच उसे अपनी मां का चेहरा हमेशा याद रहता था जिन्हें मेहनत करते हुए देखकर उसे हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती थी।

सेलवामारी ने यूनिवर्सिटी कॉलेज से एम एससी किया। उसके बाद बी एड, एम एड और तिरूवनंतपुरम के थायकॉड गवर्नमेंट कॉलेज से प्रथम श्रेणी में एम फिल की डिग्री भी ली। फिलहाल वे मैथ्स में पीएचडी कर रही हैं। उसने यूजीसी नीट एग्जाम भी क्लियर की। अब आगे वह सिविल सर्विस क्लियर करना चाहती हैं जिसके लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं।”

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