*चिट्टी,,,तुंहर नांव !*
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मोहरी सुनई नई देवय,
न सियान के गोठ,
रिंगी चिंगी मोर गांव गवई
हर्रस-भर्रस कांटा खूंटी के खोट,
डंगनी ले ओनहा,
कई पईत खाल्हे म झीकंव,
पचर्रा लागथे मन,
मेहर रना गेंव मया का लिखवं,
उरमाल सुग्घर डंगनी म हे,
अगोरा हे उरमाल गिर जातीस,
मोबाइल आगे हे येती वोती,
परबुधिया मोर गिंया कहां मातीस,
कइसे खेलन हमन,
दौंरी संग म गुलान बाटी,
आरूग रिहिन हमर,
खरसी कोहा कन्हार माटी,
अबक-तबक कोदो-कुटकी,
तांते-तांत,अम्मट जम्मो खांय,
गोंदली,कलेवा,मया खोली,
कथरी गोदरी बिछौना आय,
कपिला चरे सुग्घर दुआरी,
कुकरा कुकरी के महिमा भारी,
कुटेला,करपा,कुची,
कुदाली,गैंती,गांसा,आरी,
कोटना,गरूवा,खुमरी,कुशियार
अमरइया,कुंदरा,कुलूप अंधियार,
गिंया…,गरू निमगा रिहिस,
गुरहा गुड़ी,चिंगरा, के लार,
चुक चुक ले गांव,
जनम करम हमर मरम हे माटी,
चेतव चोला,चौसेला,छानी,
जतनन,,हमर गांव मुहाटी,
जबरजंग झांपी,टिकली,
फूंदरी,फूली, कारी कयना,
टुडुम ढेहरी गांव मोर
बघवा. चितवा, सुआ मयना,
बस्तरिहा बेटा नीम नानकुन
चिट्ठी लिखे हंव तुंहर नाव,
जनम करम हे मोर माटी महतारी
चरण शरण तोला माथ नवांव |
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*विश्वनाथ देवांगन’मुस्कुराता बस्तर’*
कोंडागांव,बस्तर,छत्तीसगढ़