सत्यदर्शन संस्कृति विशेष…रामनामी समुदाय के लोग सदियों से अपनी अनोखी परंपरा राम के नाम को अपने कण-कण मे बसाए हुए हैं..तन में राम, मन में राम…इनके तो रोम-रोम में बसे हैं राम….

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जांजगीर:-श्रद्धा,विश्वास,भक्ति से मनुष्य को वास्तविक सत्य का बोध होता है।बगैर उद्देश्य से कोई भी प्राणी इस धरती पर नही आया है।हम बात करेंगे श्रद्धा और आस्था के प्रतीक रामनामी समुदाय के विषय मे।इस समुदाय में श्रद्धा इस तरह मजबूत होती है कि उस श्रद्धेय का नाम तन-मन-आत्मा और कण-कण में समा जाता है। छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में रहने वाले रामनामी समुदाय के लोग सदियों से अपनी अनोखी परंपरा के साथ राम के नाम को अपने कण-कण में बसाए हुए हैं।

जांजगीर-चांपा जिले के मालखरौदा ब्लॉक के पिकरिपार गांव में रामनामी समाज के लोग रहते हैं। इस गांव में हर साल तीन दिन का मेला लगता है जिसमें देशभर से रामनामी समुदाय के लोग एकत्र होते हैं। हालांकि इस समुदाय की आबादी बहुत सीमित है और मूल रूप से यह इसी क्षेत्र में रहते हैं, लेकिन समाज के युवा अब देश के दूसरे इलाकों और विदेशों में भी बस गए हैं।

इस मेले में जिधर भी नजर दौड़ाएं, बस राम का ही नाम नजर आता है। यहां शरीर पर रामनाम का गोदना गोदवाए रामनामी समाज के महिला-पुस्र्ष दिखाई पड़ते हैं। इनके शरीर से लेकर पूरे चेहरे तक में रामनाम गुदा होता है। इस मेले में बहुत से विदेशी सैलानी भी पहुंच रहे हैं।

इसके साथ ही यह लोग रामनाम का चोला पहनते हैं और दिनभर राम का नाम जपते रहते हैं। इनके चेहरे में शांति का भाव और इनकी सादगी देखकर अहसास होता है कि श्रद्धा और भक्ति एक व्यक्ति को कितना आंतरिक सुख देती है। इनका पूरा जीवन ही राम के नाम पर समर्पित होता है। छल-कपट, मोह-माया से परे इस समुदाय के लोग जनकल्याण की भावना से ही काम करते हैं और अपना पूरा जीवन ऐसे ही बिताते हैं।

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