अंतर्राष्ट्रीय खबर…हैरतअंगेज…चीन मात्र 6 दिनों में कोरोना वायरस से पीड़ितों के लिए बना देगा 1000 बेड का अस्पताल…

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चीन प्रशासन मात्र 6 दिनों में कोरोना वायरस से पीड़ितों के लिए 1000 बेड के अस्पताल का निर्माण करने की तैयारी कर रहा है।…

नई दिल्ली। कोरोना वायरस को लेकर दुनियाभर में चिंता हो रही है। वायरस को लेकर तमाम तरह के एलर्ट घोषित किए जा रहे हैं। अब तक 80 लोगों की मौत भी हो चुकी है। चीन में इस वायरस के सबसे अधिक मरीज पाए जा रहे हैं। इसका केंद्र भी यहीं पाया गया है।

पूरे चीन में एलर्ट घोषित कर दिया गया है, टीमें इसकी रोकथाम के लिए लगी हुई हैं मगर उसके बाद अब चीन इससे निपटने के लिए और भी तैयारियां कर रहा है। चीन प्रशासन मात्र 6 दिनों में कोरोना वायरस से पीड़ितों के लिए 1000 बेड के अस्पताल का निर्माण करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए रात-दिन काम किया जाएगा। डेलीमेल और शिन्हुआ न्यूज के अनुसार इस अस्थायी स्ट्रक्चर अस्पताल के लिए तेजी से काम शुरू किया जा चुका है। अस्पताल  का बेस बनाया जा चुका है। कंटेनर आ चुके हैं, इन्हीं का प्रयोग करके इसका निर्माण किया जाएगा।

अधिकारी जल्द ही इस पूरे अस्पताल का एक खाका भी जारी करेंगे। फिलहाल इस इमारत की बिल्डिंग को बनाने के लिए चार सरकारी-संचालित फर्मों, चाइना कंस्ट्रक्शन थर्ड इंजीनियरिंग ब्यूरो, वुहान कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग ग्रुप, वुहान म्यूनिसिपल इंजीनियरिंग डिज़ाइन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट और साथ ही वुहान ह्येन म्यूनिसिपल कंस्ट्रक्शन ग्रुप को सौंपा गया है।

 200 मशीनें और 500 श्रमिकों ने शुरू किया काम
हुबेई डेली के अनुसार 500 श्रमिकों को  रात 8 बजे निर्माण शुरू करने का निर्देश दिया गया था। सुबह यहां लगभग 200 भारी-भरकम वाहन बिना रुके काम कर रहे थे। वुहान कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग ग्रुप के डिप्टी मैनेजर ने बताया कि कंपनी वर्कफोर्स इकट्ठा करने की पूरी कोशिश कर रही है। चीन कंस्ट्रक्शन थर्ड इंजीनियरिंग ब्यूरो के एक प्रवक्ता ने कहा कि फर्म ने 500 से अधिक श्रमिकों को स्टैंडबाय पर होने की बात कही थी।

दरअसल चीनी नववर्ष से पहले यहां काम करने वाले श्रमिक बड़े शहरों से बाहर चले जाते हैं, इस वजह से इन दिनों थोड़ी कमी महसूस की जा रही है। अस्पताल एक अस्थायी चिकित्सा केंद्र पर बनाना शुरू किया गया है, इसे 2003 में SARS से निपटने के लिए बीजिंग में सात दिनों में बनाया गया था और दो महीने के अंतराल में देश के SARS रोगी के सातवें हिस्से का इलाज किया था।

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