कमलेश यादव : संस्कारधानी राजनांदगांव के स्टेट स्कूल मैदान में 16 फरवरी से 22 फरवरी तक स्वदेशी मेले का आयोजन किया जा रहा है।कहा जाता है कि,मेला और हाट हमारी अर्थव्यवस्था की धड़कन हैं।उद्यमियों के विकास के लिए यह मेला एक अवसर प्रदान करता है।यहां देश के हस्तशिल्पियों, बुनकरों और कारीगरों के अलावा विभिन्न प्रकार के कॉस्मेटिक उत्पादों, हस्तनिर्मित अचार की दुकान, बनारसी साड़ियां, चूड़ियां, भागलपुरी सिल्क साड़ियां, किताब, बच्चों के लिए झूले आदि की दुकानों को बेहद आकर्षक ढंग से सजाया गया है।
स्वदेशी मेला एक मंच
गौरतलब है कि जिस तरह से विदेशों में कलाकारों को महत्व दिया जाता है. उनके काम को जितनी पहचान मिलती है उतनी भारत में नहीं मिलती. आज भी वह उस स्तर पर नजर नहीं आता. यदि यह सोचें तो कृषि के बाद क्राप्ट क्षेत्र एक बहुत बड़ा क्षेत्र है लेकिन उस क्षेत्र में बढ़ोतरी होनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। “स्वदेशी मेला” जैसा आयोजन कहीं न कहीं एक सकारात्मक मंच प्रदान करने का प्रयास है।
रामदरबार झाड़ू
छिंदवाड़ा जिले के निवासी महादेव तेलंगे की बनाई रामदरबार झाड़ू ने दुबई में भी कमाल दिखाया है। महादेव कहते हैं कि झाड़ू बनाना उनका पारंपरिक व्यवसाय है. और वे खजूर के पेड़ों से झाडू बनाते हैं। उन्होंने बताया कि 2007 में जब वह एक कार्यक्रम में अपनी कलाकृति प्रदर्शित कर रहे थे तो दुबई के शेख वहां मौजूद थे. उन्हें यह कलाकृति बहुत पसंद आई। कुछ दिन बाद उन्हें दुबई आने का न्योता मिला.
अदुभुत कलाकृतियां
दिलीप हैंडीक्राफ्ट के निदेशक कुशल जी ने बताया कि ये आकर्षक मूर्तियां लकड़ी के बुरादे, मार्बल के पाउडर और रेज़िन केमिकल के मिश्रण से बनाई गई हैं. ये मूर्तियां काफी आकर्षक और विश्व प्रसिद्ध हैं।
विश्वप्रसिद्ध वुडन आर्ट
सहारनपुर फर्नीचर के संचालक अहमद खान ने बताया कि यह वुडन आर्ट विश्व प्रसिद्ध है। उनका कहना है कि, अगर आप फर्नीचर को उसकी टिकाऊपन के हिसाब से देख रहे हैं तो हाथ से बना लकड़ी का फर्नीचर ही सबसे अच्छा क्यों है। हस्तनिर्मित लकड़ी के फर्नीचर की उपयोगिता के कारण, यह न केवल लंबे समय तक चलने वाला और टिकाऊ है, बल्कि दिखने में भी अन्य फर्नीचर वस्तुओं से बेहतर है।
चीनी मिट्टी की कारीगरी
चीनी मिट्टी के प्रोडक्ट बनाने वाले रोहित और यस भास्कर ने बताया कि,चीनी मिट्टी एक सिरेमिक सामग्री है जो कच्चे माल को गर्म करके बनाई जाती है, जिसमें आम तौर पर काओलिनाइट भी शामिल है, भट्टी में 1,200 और 1,400 डिग्री सेल्सियस (2,200 और 2,600 डिग्री फारेनहाइट) के बीच तापमान पर। अन्य प्रकार के मिट्टी के बर्तनों की तुलना में चीनी मिट्टी के बरतन की अधिक ताकत और पारदर्शिता, मुख्य रूप से इन उच्च तापमानों पर शरीर के भीतर कांचीकरण और खनिज मुलाइट के गठन से उत्पन्न होती है। अंतिम अनुप्रयोगों में टेबलवेयर , सजावटी बर्तन जैसे मूर्तियाँ, और प्रौद्योगिकी और उद्योग के उत्पाद जैसे इलेक्ट्रिकल इंसुलेटर और प्रयोगशाला वेयर शामिल हैं।