कोई भी चुनौती अजेय नहीं है…उन्होंने युवाओं को बड़े सपने देखने,वंचितों को विपरीत परिस्थितियों से उबरने के लिए प्रोत्साहित किया…पढ़िए समाजसेवी शिव वर्मा की प्रेरणादायी कहानी

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कमलेश यादव :खुद को खोजने का सबसे अच्छा तरीका है,खुद को दूसरों की सेवा में खो देना।” महात्मा गांधी के ये शब्द छत्तीसगढ़ के संस्कारधानी राजनांदगांव जिले में समाज सेवा के लिए अपनी पूरी जिंदगी समर्पित करने वाले शिव वर्मा के लिए सच हैं।भोर होते ही वह लोगों से बात करने और उनकी सुख दुख की बातें साझा करने पहुंच जाते है।इस जिले का शंकरपुर वार्ड है जहां वह 5 बार वार्ड पार्षद बनकर लोगों की निरंतर सेवा में लगे हुए है।उनका मानना है कि परिवर्तन जमीनी स्तर पर शुरू होता हैं।

एक साधारण परिवार में जन्मे,शिव वर्मा जीवन भर कई चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना किया।फिर भी,उन्होंने कभी भी उन बाधाओं को खुद के ऊपर हावी होने नहीं दिया बल्कि लोगो की सेवा करने का जुनून और बढ़ता गया।पिताजी स्व. रामरुज वर्मा बीएनसी मिल में काम किया करते थे।छोटी उम्र से ही शिव वर्मा पढ़ाई में बहुत आगे थे।मैट्रिक तक कि शिक्षा म्युनिसिपल स्कूल में पूरी की।ग्रीष्म कालीन छुट्टियों में जेब खर्च के लिए काम की तलाश भी रहती थी। छात्र जीवन से ही लोगो के बीच जाकर उनकी जिंदगियों से काफी कुछ सीखने का प्रयास किया।

सत्यदर्शन लाइव से बातचीत करते हुए बीते दिनों को याद करके शिव वर्मा भावुक हो गए।छात्र जीवन की इंग्लिश शिक्षक स्व. कन्हैया लाल की कठोर अनुशासन की शिक्षा आज भी याद है।बेरोजगारी की उथल पुथल भरी दौर से गुजरकर एक वर्ष बोड़ला में स्वास्थ्य विभाग में काम भी किये।पर उन्हें नौकरी रास नही आई।राजनीति की शुरुआत श्री लीलाराम भोजवानी के मार्गदर्शन में शुरू की।

एक राजनेता के रूप में शिव वर्मा की यात्रा चुनौतियों से भरी थी।उन्हें निरन्तर आलोचना, संदेह और प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। फिर भी,इस सबके बावजूद,वह अपने विश्वास पर दृढ़ रहकर जनता के विश्वास को बनाए रखा।पेंशन की समस्या हो या अधोसंरचनात्मक विकास सभी दृष्टिकोण से शंकरपुर वार्ड में विकास दिखता है।उनके अटूट समर्पण,कुशल नेतृत्व और समावेशी दृष्टिकोण ने कई लोगों के जीवन को प्रभावित किया है।उनकी कार्यशैली से वार्ड वासियों के दिलों पर एक अमिट छाप पड़ी है।

जो चीज़ शिव वर्मा को औरों से अलग करता है,वह है लोगो से सीधे जुड़ाव ऐसा एक भी घर नही है जहाँ दुख के समय वह खड़े नही हुए है।वार्ड में परिवार के किसी सदस्य के गुजर जाने के बाद वह कोई भी हो उनकी अंतिम यात्रा की साक्षी हजारो बार बन चुके है।उनका मानना है कि जब तक सांसे चल रही है तब तक ही जीवन है बाकी मैं कहा तुम कहा सब यादें ही बन जाएगी।इसीलिए सभी से अच्छे से रहो।यही जीवन की सार्थकता है।

उन्होंने युवाओं को बड़े सपने देखने,वंचितों को विपरीत परिस्थितियों से उबरने के लिए प्रोत्साहित किया।60 वर्ष के उम्र में पहुंच जाने के बावजूद शिव वर्मा आज भी पूरी उत्साह के साथ अपने कार्यो को पूरी शिद्दत के साथ करते है।निगम अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष,झुग्गी झोपड़ी अध्यक्ष,रिक्शा ठेला संघ अध्यक्ष,निराश्रित संघ अध्यक्ष, जिला भाजपा पिछड़ा वर्ग जिलाध्यक्ष जैसे पदों अपनी दायित्वों का निर्वहन कर चुके है।

शिव वर्मा की कहानी एक ऐसी प्रेरणा है जो सभी लोगों के लिए एक बेहतर कल बनाने की शक्ति रखता है।ऐसे समय में जब निराशावाद अक्सर आशावाद पर हावी हो जाता है,वार्ड पार्षद के रूप में शिव वर्मा के कार्य अन्य लोगो के लिए उदाहरण है।उनकी कहानी हमें याद दिलाती है कि कोई भी चुनौती अजेय नहीं है, और एकजुट होकर हम एक ऐसी दुनिया बना सकते हैं जहां आशा और परिवर्तन पनपे।सत्यदर्शन लाइव ऐसे रचनात्मक जननेता की कार्यो की सराहना करता है।

(यदि आपके पास भी कुछ विशेष लेख या जानकारी है तो satyadarshanlive@gmail.com पर लिखे या 7587482923 में मैसेज करें)

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