‘अंतर्राष्ट्रीय सीताराम नाम बैंक’ देश-विदेश में हैं इस बैंक की 136 शाखाएं…मीराबाई ने भी ‘पायो जी मैंने राम रतन धन पायो’ कह कर इस राम नाम के धन की बात कही है

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अक्सर कहा जाता है कि हमें अपने बुरे वक्त के लिए कुछ धन बचाकर रखना चाहिए. इसलिए लोग अपने बैंक अकाउंट्स को भरते रहते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे बैंक के बारे में बता रहे हैं जिसमें रखा धन अगर बढ़ता है तो आपकी ख़ुशियां अपने आप बढ़ जाती हैं. वह भी बैंक अकाउंट से कोई धन खर्च किए बिना.

यह कहानी है देश के अनोखे बैंक- ‘अंतर्राष्ट्रीय सीताराम नाम बैंक’ यानि राम नाम के बैंक की. जहां लोग राम नाम के धन को जमा करते हैं. राम नाम दुनिया में सबसे कीमती है. मीराबाई ने भी ‘पायो जी मैंने राम रतन धन पायो’ कह कर इस राम नाम के धन की बात कही है. वहीं निर्गुण कबीर ने ‘राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट’ कहकर ये संदेश दिया कि इससे बड़ा धन कोई नहीं.

इसी राम नाम के धन को जमा करने के लिए राम की नगरी अयोध्या में एक बैंक भी है, जो पिछले 51 साल से चल रहा है. अयोध्या के वाल्मीकि रामायण भवन में इस बैंक का हेड ऑफ़िस है.

ऐसे हुई शुरुआत
इस बैंक के शुरू होने की कहानी भी बहुत रोचक है. दरअसल राम की नगरी अयोध्या आने वाले कई लोग यहा अलग-अलग मंदिरों में बैठकर राम नाम का जप करते हैं. कुछ लोग राम या सीताराम का नाम लिखते भी हैं. 51 साल पहले यहां के प्रमुख संत और इस समय राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास ने यह देखा तो इस अनोखे बैंक की शुरुआत की.

तब से अयोध्या में ‘मणि राम दास छावनी’ इस बैंक का संचालन कर रहा है. जिससे लोग यहां आकर ‘सीताराम’ का नाम संचित(जमा) कर सकें. धीरे-धीरे न किसी विशेष प्रचार के ही इस बैंक के बारे में इतने लोग जान गए कि दूर-दूर से लोग यहां ‘राम नाम का धन’ जमा करने आने लगे. आज इस बैंक की देश-विदेश में 136 शाखाएं हैं.

मिलती है पासबुक
वाल्मीकि रामायण भवन में इतनी पोथिया, कॉपी, और नोटबुक रखी हैं कि इन्हें देखकर कई लोग आश्चर्य में पड़ जाएंगे. यहा का काम देखने वाले वयोवृद्ध संत कहते हैं कि यूं तो राम नाम या सीताराम का जाप (जप) सबसे पवित्र नाम माना जाता है. पर ये सबसे बड़ा धन भी है. यहां ये नाम लिखकर लोग जमा करते हैं. इसके लिए बाकायदा बैंक की तरह ही अकाउंट यानी खाता खोला जाता है.

उसी अकाउंट नम्बर में ‘सीताराम’ का नाम जमा होता है. आपने जितना ‘नाम धन’ जमा किया है वह कभी भी देख सकते हैं. उसके लिए एक निर्धारित संख्या होने पर जमाकर्ता को बैंक की तरह ही पासबुक भी दी जाती है.

देश-विदेश में हैं 136 शाखाएं
इस बैंक का कोई खास प्रचार न होने के बावजूद, आज देश-विदेश में इस बैंक की 136 शाखाएं हैं. जहां लोग ‘सीताराम’ का नाम जमा करते हैं. जिनमें, कनाडा, फिज़ी, अमेरिका, नेपाल जैसे देश शामिल हैं. भारत के भी कई शहरों में इस बैंक की ब्रांच है. अयोध्या के इसी बैंक में अकेले साढ़े पंद्रह हज़ार करोड़ (15,500 हज़ार करोड़) राम नाम रूपी धन जमा है.

किसके नाम से कितना धन है इसका पूरा हिसाब-किताब है. बैंक के क़रीब 28 हज़ार स्थाई सदस्य भी हैं जो समय-समय कर अपना राम नाम रूपी धन यहां जमा करते हैं. इसके लिए भाषा कोई बाधा नहीं है. कई भारतीय भाषाओं में राम का नाम यहां जमा है.

कैसे होती है गिनती
राम नाम धन की गिनती करने के लिए एक तकनीक अपनाई गयी है. बैंक से ही नाम की संख्या वाले नोटबुक मिलते हैं. 11 हज़ार, 21 हज़ार, या 51 हज़ार के अलग अलग कॉलम वाली पुस्तिकाएं मिलती हैं जिनमें लिखने पर आपको नाम की गिनती नहीं करनी होती. यह कॉपी भी यहां निशुल्क दी जाती है.

इस बैंक में जो लोग राम नाम रूपी धन जमा करते हैं सिर्फ़ वही यहां नहीं आते हैं. बल्कि इस बैंक को देखने के लिए भी लोग दूर-दूर से आते हैं. दुनिया में ‘अंतर्राष्ट्रीय सीताराम नाम बैंक’ अपनी तरह का एकमात्र बैंक है. इसकी विशिष्टता को देखते हुए अब बैंक के संचालक चाहते हैं कि वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक में भी इसका नाम दर्ज़ हो. राम की नगरी अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है. ऐसे में यहां और ज़्यादा लोगों के आने की उम्मीद है.

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