मत भूलो उन अनुदानों को।
मत भूलो उन अनुदानों को ,
जो दिया ईश वरदान में। अल्लाह ने भी वही दिया है,
जो दिया हमें भगवान ने। मत भूलो उन….
ब्रह्मा जी ने काया दी है
विष्णु जी ने माया।
भोलेनाथ संहार के देवता,
रक्षक भी है प्राण के ।
मत भूलो उन…..
ब्रह्म पिता है प्रकृति हैं माता,
वहीं विश्व के भाग्य विधाता।
ईशा, अल्लाह, राम ,कृष्ण सब,
इनकी ही देन महान हैं।
मत भूलो उन…,,..
जन्मदिया पालन भी करते,
सृष्टि का संहार भी करते।
इनको ध्याते हम सब मानव,
रोजा ईश्टर पर्व प्रकाश कहो होली दिवाली रमजान में।
मत भूलो उन……
फिर आपस में क्यों बैर हैं करते,
इंसानियत की राह न चलते ।
समय अभी है मिलकर हम सब,
इंसानियत पर चलें और,
राह धरें ईमान का ।
मत भूलो उन……
सभी जाति सब धर्म बताता,
ईश्वर से ही जोड़ें हैं नाता।
दुनिया में सब आता जाता,
पर वही व्यक्ति है पूजा जाता।
जो सेवा करता दीन दुखियों का,
और रहता नेक इंसान है।
मत भूलो उन अनुदानों को…..
स्वरचित रचना,
प्रज्ञा पुत्र वैद्य कवि
ईंजी एस पी विश्वकर्मा सृजेता
शब्दाक्षर जिला अध्यक्ष कोंडागांव ( बस्तर)
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