सवाल….आखिर क्यूं लगा इतना वक्त…इस गांव में आजादी के 75 साल के बाद पहुंची बिजली…देर से किया न्याय भी अन्याय से कम नही…स्थानीय रहवासी मौलिक सुविधाओं से वंचित

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कमलेश यादव: परिवर्तन सतत चलने वाली प्रक्रिया है लेकिन आज हम ऐसी जगह के बारे में बात करने वाले है जहाँ बुनियादी सुविधाएं पहुचने के लिए कई साल लग गए है।या यूं कहें वहां के लिए वक्त ठहर सा गया था।न बिजली न पानी और तरह तरह की समस्याएं जिसके बारे में कल्पना करना भी मुश्किल है।छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में आज भी कई जगह है जहां बिजली पहुंची नही है उन्ही में से एक है सुकमा जिले में आने वाला कोण्टा ब्लाक का पोटकपल्ली गांव. अब यहां के 33 घरों में बिजली पहुंच गई है, जिससे गांव वालों में भारी प्रसन्नता है.

जंगल के बीच मे बमुश्किल कुछ गिने चुने बस्तियां वहां के रहवासी सदियो से प्राकृतिक जीवन जीते आ रहे है।न ही किसी से शिकवा न शिकायत बस दबी जुबां से सब कुछ आज भी सह रहे है।जिला व पुलिस प्रशासन के प्रयासों के चलते गांव में पहली बार बिजली पहुंची जिससे 33 घर रोशन हुए. करीब 6 माह पहले ही यहां पर सुरक्षाबलों का नया कैंप स्थापित हुआ था, जिसके बाद पुलिस और प्रशासन लगातार यहां बिजली पहुंचाने के लिए काम कर रहे थे. आखिरकार 6 माह के अथक प्रयासों के बाद गांव में बिजली पहुंचते ही लोगों के चेहरे खिल उठे.

कुछ चीजें समय की जरूरत होती है अच्छी स्वास्थ्य पोषण युक्त खाना और बिजली पानी की व्यवस्था लेकिन यहां के लोगो की कई पीढियां बीत गई तब जाकर बिजली मिली है।
बता दें कुछ समय पहले तक सुकमा के पोटकपल्ली गांव में नक्सलियों का ही ताना बाना था. फिर सुकमा एसपी सुनील शर्मा के नेतृत्व में कोबरा की 208 बटालियन सीआरपीएफ की 212वी बटालियन व डीआरजी के जवानों ने पोटकपल्ली गांव में नया कैंप खोला. वो लगातार ग्रामीणों से संपर्क कर उन्हें भरोसे में लेते रहे और उन्हें जागरुक कर गांव का विकास किया. अब गांव वाले कैंप खुलने से काफी खुश हैं.

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