गोपी साहू:संविधान ने हर व्यक्ति को जीने के विशेष अधिकार दिए हुए है लेकिन ऐसे व्यक्तियों का क्या जिनके आगे पीछे कोई भी न हो।आज हम ऐसे खास शख्सियत से मिलाने जाएंगे जिन्होंने विगत 20 वर्षों से 1000 से भी अधिक लावारिस शवो का अंतिम संस्कार अपने हाथों से किया है।उनके साथ आज युवाओं की मजबूत टीम है।बात हो रही है छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में रहने वाले विजेंद्र यादव की।मीडिया की चकाचौंध से कोसो दूर इन्होंने निःस्वार्थ भाव से अपने कार्य को ही ईश्वर की पूजा मानते है।पहले तो बगैर संगठन के इस कार्य को करते थे लेकिन अभी युवा मुक्तांजली सेवा संस्था के नाम से रजिस्टर्ड कराए है।शहर के विभिन्न थानों से जब किसी प्रकार से कोई घटना घटती है ज्यादातर लावारिश शवो की अंतिम संस्कार का यह संस्था आगे रहती है।
सत्यदर्शन लाइव को विजेंद्र यादव ने बताया कि,ऐसे कई मौके आये है जब क्षत विक्षिप्त शवो को देखकर कोई नजदीक नही जाता है।कई शव तो बहुत पुराने रहते है।बहुत से लोग ट्रेन में कटकर जान दे देते है शरीर का पता नही फिर हम लोग पूरे मन से उन्हें अपना मानकर अंतिम संस्कार करते है।मेरा यह मानना है ईश्वर ने हम सभी को एक इंसान बनाकर भेजा है और यही इंसानियत का रिश्ता ही सबसे बड़ा है।हरेक शवो को परिवार का हिस्सा समझकर बड़े जतन से अंतिम संस्कार की विधि को सम्पन्न किया जाता है।ऊपर बैठा हुआ ईश्वर सब कुछ देख रहा है।
इस संस्था को अभी तक किसी प्रकार से कोई भी सहायता नही मिल पाया है जिंदगी के अहम 20 वर्ष जिन्होंने इस पुण्य कार्य मे लगा दिए है।वास्तव में समाज के हीरो है सभी। प्रशासन ने सुध भी नही लिया है अजीब विडम्बना है अच्छे और नेक कार्य करने वालो की संख्या वैसे बहुत कम है।लोग नाम प्रतिष्ठा की चाह में काम कम ब्रांडिंग ज्यादा करते है लेकिन यह वे लोग है जिन्हें केवल अपने काम पर भरोसा है।सत्यदर्शन लाइव ऐसे जांबाज हीरो को सलाम करता है।