गोपी साहू:जिसका कोई नही उसका तो खुदा है यारो यह गाने के बोल जीवन के सच्चाई को बयां करती है।जिंदगी के मोड़ पर कब कौन कैसे आपके सहयोग के लिए तैयार हो जाये कहा नही जा सकता।आज की कहानी भी एक बुजुर्ग के इर्द गिर्द घूम रही है।छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में एक बुजुर्ग महिला जिसे लोग कोन्दी कोन्दी करके बुलाते है पता नही उसके सगे सम्बन्धी कोई है या भी नही।पिछले कई सालों से वह अकेली रहती है।कुछ कर्मचारी अपनी टिफिन में उसके लिए सब्जी दाल चावल लेकर आते है।स्थानीय रहवासी भी परिवार के सदस्य जैसे खाने का इंतेजाम करते है।ईश्वर हर किसी के लिए व्यवस्था करके रखा हुआ है।इधर उधर नही वह हमारे अंदर ही बैठा हुआ है जो समय समय पर हमें अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करते रहता है।
दयालुता यह दर्शाती है कि हम मनुष्य है।किसी असहाय लोगो या वास्तविक जरूरतमंदों की मदद वाकई में ईश्वर की सेवा है।कोरोना काल मे भी अनेक व्यक्ति अपने अपने तरीके से मदद के हाथ को आगे बढ़ाया है।वास्तव में एक दूसरे के सहयोग के लिए ही समाज का निर्माण किया जाता है।और जब हम इस रास्ते पर चलते है,आपके पीछे लोगों की दुआ काम करती है।