जब उड़ने की हो ख्वाहिशें, हौंसलों के पर खुद ब खुद निकल आते हैं,
अपनों का हो साथ, तो आप खुद को आसमान में पाते हैं
यह पंक्तियां बयां करती हैं आयशा की उड़ान भरने से लेकर आसमान पर राज करने तक के सफर को। यह पंक्तियां बयां करती है, स्त्री के मन में लगे हौंसलों के पर को। और यह पंक्तियां बयां करती हैं उसके दमदार अस्तित्व को, जो धरती से लेकर आसमान तक मौजूद है…उसे बार-बार खुद को साबित करने की अब जरूरत नहीं। बस जरूरत है, तो इस जहां को…उसे पहचानने की।
कश्मीर में पैदा हुई आयशा बाद में मुंबई शिफ्ट हो गई थीं. उनकी मां बारामुला जिले की रहने वाली हैं. टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बात करते हुए वह कहती हैं, बचपन से ही मेरी पायलट बनने की ख्वाहिश थी. जैसे-जैसे बड़ी होने लगी, मेरी चाहत और बढ़ने लगी. फाइनली वह बॉम्ब फ्लाइंग क्लब ज्वाइन कर लीं.
आयशा के पिता अब्दुल अजीज मुंबई के वर्ली में एक बिजनेसमैन हैं. उन्होंने आयशा को हमेशा से सपोर्ट किया है. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, यदि मेरी बेटी का सपना पाने लायक है तो मैं उसका हिस्सा बना. मैंने देखा कि कैसे वह अपने सपने को साकार करती है.
आयशा को साल 2011 में स्टूडेंट पायलट लाइसेंस मिल गया था. उस समय उसकी उम्र 16 साल थी. लाइसेंस पाने वाली वह यंगेस्ट स्टूडेंट पायलट बनी. साल 2016 में वह बॉम्बे फ्लाइंग क्लब से एविएशन में ग्रेजुएट हुई. साल 2017 में उन्हें कॉमर्शियल लाइसेंस मिल गया.
वह कहती हैं, जब मैं पहली बार अपने पेरेंट्स को बैठाकर एयरक्राफ्ट उड़ा रही थी तो ये मेरे लिए सबसे खुशी का दिन था. वह NASA से एस्ट्रॉनट ट्रेनिंग भी ले चुकी हैं. इसमें सुनीता विलियम्स और जॉन ए मैक ब्राइड जैसी शख्सियत से वह रूबरू हो चुकी हैं.
आयशा इंडियन वुमन पायलट एसोसिएशन की मेंबर हैं. वह सिंगल-इंजन 152 और सेसना 172 एयरक्राफ्ट उड़ाने के लिए क्वालिफाइड हैं. वह एयरबस ए320 कमर्शियल एयरक्राफ्ट के लिए सर्टिफिकेट हासिल कर चुकी हैं.