संस्कारधानी में आस्था विश्वास की महापर्व…हजारों की संख्या में शिवनाथ नदी में किए स्नान…कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर उमड़ा जनसैलाब…. इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान का विशेष महत्व है।

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राजनांदगांव: संस्कारधानी राजनांदगांव को तृप्त करता जीवनदायिनी शिवनाथ नदी…आज कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर हजारों की संख्या में लोगो का जनसैलाब आस्था की डुबकी लगा रहा है।कई वर्षों से निरन्तर आस्था और विश्वास का यह पर्व मनाया जाता है।स्नान के बाद दान का भी अपना अलग महत्व है।

यह है कार्तिक पूर्णिमा की कहानी 
कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुर राक्षस का वध किया था। असल में त्रिपुर ने एक लाख वर्ष तक तीर्थराज प्रयाग में भारी तपस्या की। अप्सराओं के जाल में भी त्रिपुर नहीं फंसा। ब्रह्मा जी ने वरदान मांगने को कहा तो उसने मनुष्य और देवता के हाथों न मारे जाने का वरदान प्राप्त किया। शिवजी ने ब्रह्माजी और विष्णुजी की सहायता से त्रिपुर का वध किया।

नदी सरोवरों में स्नान करना शुभ 
सभी पवित्र नदियों और तीर्थस्थलों पर भी स्नान शुभ रहता है। अगर आप इन स्थानों पर नहीं जा सकते, तो इनका स्मरण करने से भी लाभ होता है। यह श्लोक प्रचलित भी है- ‘गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेअस्मिन संनिधिं कुरु॥’

भोजन से ऊंचा है स्नान 
स्नान को भोजन से भी ऊंचा माना जाता है। पुलस्त्य ऋषि ने कहा भी है कि स्नान के बिना न तो शरीर निर्मल होता है और न ही बुद्धि। अंगिरा ऋषि के अनुसार, स्नान करते समय हाथ में कुशा जरूर होनी चाहिए। पवित्र नदी, समुद्र, सरोवर, कुआं और बावड़ी जैसे प्राकृतिक जल स्रोतों में किया गया वरुण स्नान अति पावन माना गया है। मदन पारिजात के अनुसार- कार्तिक मास में जिते्द्रिरय रहकर नित्य स्नान करें और जौ, गेहूं, मूंग, दूध-दही और घी आदि का भोजन करें, तो सब पाप दूर हो जाते हैं। पुण्य प्राप्ति के लिए सूर्योदय से पूर्व ही स्नान करना चाहिए।

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