दीदियों के प्रयासों ने बढ़ाया राजनांदगांव का मान

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राजनांदगांव। ख्वाहिश बचपन से यही थी कि, खूब पढ़-लिखकर सेवा क्षेत्र में काम किया जाए, लेकिन पारिवारिक पृष्ठभूमि और आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी कि हर सपना पूरा हो पाए। फिर भी आज जैसे भी हैं, खुश हैं और सबसे ज्यादा खुशी की बात यह है कि सेवा का अवसर तो मिल ही गया, कुछ ऐसी ही कहानी है राजनांदगांव की दीदीयों की जिनके समर्पण और सेवाभाव के प्रयासों से राजनांदगांव शहर ने स्वच्छता के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इसलिए स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग में राजनांदगांव को द्वितीय स्थान मिलने का श्रेय तो दीदीयों को ही जाता है।

स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में इस बार राजनांदगांव शहर ने ऊंची छलांग लगाकर कई बड़े शहरों को पछाड़ दिया है। शहर को स्वच्छता के लिए राज्य में दूसरा और दो लाख की आबादी वाली श्रेणी में 10वां स्थान हासिल हुआ है। इसी तरह ओवरआल रैंकिंग में यह शहर देश में 18वें स्थान पर है। नगर निगम प्रशासन ने इस उपलब्धि का श्रेय सफाई कर्मचारियों और स्वच्छता दीदीयों को दिया है, जिन्होंने कोरोना के दौरान लागू लॉकडाउन में भी अपने कार्य को बखूबी निभाया है, साथ ही सफाई व्यवस्था दुरुस्त रखते हुए कोरोना से लड़ाई में बेहतरीन योगदान दिया है। दीदीयों के संकल्प का ही नतीजा है कि स्वच्छता के लिहाज से भी राजनांदगांव की पहचान आज पूरे देश में बन गई है। राजनांदगांव को स्वच्छ बनाने में दीदीयों द्वारा क्या प्रयास किए गए और क्या-क्या संघर्ष करना पड़ा, यह जानने का प्रयास किया है स्वच्छता टीम की सदस्य यानी दीदी वीणा टंडन, प्रेमा सोनकर और मुस्कान वर्मा से।
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मेरे लिए यज्ञ जैसा है यह : वीणा
दीदी वीणा टंडन समाज शास्त्र विषय में पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षित हैं। ये 4-5 साल से महिला एवं स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई हैं। समूह के माध्यम से इन्होंने एसएलआरएम सेंटर में सेवा का अवसर मिला है। यहां वे कचरों का पृथकीकरण कार्य करती हैं। वीणा बताती हैं किए स्वच्छता के महत्व को मैंने काफी करीब से समझा है और तभी कुछ अच्छा करने की राह पर चल रही हूं। मुझे इतना तो बखूबी पता है कि, स्वच्छता का सीधा संबंध स्वास्थ्य से है और इसी सोच के साथ स्वच्छता के इस कार्य को मैंने एक यज्ञ के रूप में लिया है। शहर की स्वच्छता और लोगों के स्वास्थ्य के लिए प्रयासों को ही मैं अपना पहला कर्तव्य समझती हूं। दरअसल, बचपन से ही मेरी इच्छा सेवा की रही है। मेरा सपना भी सेवा के क्षेत्र का ही था, लेकिन वर्तमान में मुझे जिस तरह की सेवा का अवसर मिला है, मैं उससे भी संतुष्ट हूं।
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वादा किया था और सफल भी हुए : प्रेमा
दीदी प्रेमा सोनकर ने बीए तक शिक्षा हासिल की है। लगभग आठ साल से ये महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई हैं। वर्तमान में स्वच्छ भारत मिशन के तहत जारी स्वच्छता अभियान की एक शाखा (मणिकंचन केंद्र-5, मील चाल) में नगर पालिक निगम में ये स्वच्छता सुपरवाइजर हैं। प्रेमा बताती हैं कि, स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान हमने नगर निगम आयुक्त साहब से वादा किया था और उनको विश्वास दिलाया था कि स्वच्छता के मामले में शहर का मान बढ़ाकर ही रहेंगे और इसमें हम सफल भी हुए। प्रेमा ने बताया, राजनांदगांव शहर में कुछ 51 वार्ड हैं और इन वार्डों में स्वच्छता के लिए नियमित साफ सफाई की जाती है। इसके लिए दीदीयों और सफाई मित्रों सहित कुल 432 लोगों की टीम है। शहर में 18 जगहों पर एसएलआरएम सेंटर बनाए गए हैं, जिसका नाम मणिकंचन केंद्र रखा गया है। कचरा संग्रहण के बाद मणिकंचन केंद्रों में शाम लगभग 7 बजे तक कचरों का पृथकीकरण किया जाता है। इसके लिए हमें नगर निगम से रिक्शा मिला हुआ है। प्रेमा की जिंदगी से जुड़ा एक पहलू यह भी है कि वे स्वच्छता के लिए दीदी बनने से पहले दो बार रेलवे की नौकरी के लिए एग्जाम भी दे चुकी हैं। हालांकि, इसमें वे सफल नहीं हो पाईं।
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फिर ऑल इज वैल : मुस्कान
दीदी मुस्कान वर्मा दसवीं तक शिक्षित हैं और ऑल इज वैल का मतलब बखूबी समझती हैं। चर्चा के दौरान मुस्कान वर्मा ऑल इज वैल…गाना गुनगुनाने लगती हैं और कहती हैं हमारे काम का संदेश भी कुछ इसी तरह का है। ऑल इज वैल गाने की लाइन है, सीटी बजाके बोल, ऑल इज वैल…। बिल्कुल ऐसे ही हमारे भी काम का तरीका है जिसमें पहले सीटी बजाके लोगों को संकेत देते हैं, फिर उनके घर से कचरा इकट्ठा करते हैं और फिर ऑल इज वैल के लिए आगे बढ़ जाते हैं। क्योंकि शहर स्वच्छ हुआ तो समझिए सब कुछ अच्छा ही अच्छा। मुस्कान ने आगे बताया कि दो लोगों की टीम प्रतिदिन संबंधित वार्डों से लगभग दो से ढाई सौ घरों तक जाकर कचरा संग्रहित करती है।
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कोविड अस्पताल में भी डरे नहीं, डटे रहे…
स्वच्छता दीदीयों और सफाई कर्मचारियों ने बताया किफ़, कोरोना संक्रमणकाल के दौरान शहर के कोविड अस्पतालों में भी वे निष्ठापूर्वक अपने कार्य को कर रहे हैं। सुरक्षा के लिए वे मास्क और ग्लब्स लगाकर अस्पतालों से कचरा संग्रहण करते हैं। इसके लिए नगर निगम से उन्हें एक कैमिकल उपलब्ध कराया गया है। अस्पतालों से संग्रहित कचरे पर सबसे पहले इस कैमिकल का छिड़काव कर कुछ देर के लिए खुला छोड़ दिया जाता है, जिससे कई तरह के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। इसके बाद कचरों का पृथकीकरण किया जाता है।
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वे मजबूत प्रयास, जिनसे बढ़ा शहर का मान
डोर टू डोर कलेक्शन : शहर के सभी 51 वार्डों में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन जारी है। सार्वजनिक जगहों पर कचरे के ढेर नहीं लग रहे हैं। कचरों का नियमित निष्पादन हो रहा है।
शौचालय : शहर में सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों को अपडेट किया गया है। हर घर शौचालय के निर्माण का लक्ष्य भी पूरा हो चुका है। इससे खुले में शौच की स्थिति अब लगभग खत्म हो चुकी है। साथ ही लोगों में भी जागरुकता आई है।
मजबूत मॉनिटरिंग : सफाई व्यवस्था को लेकर निगम प्रशासन ने भी गंभीरता दिखाई है। सफाई की कड़ी मानिटरिंग के लिए अफसरों को लगातार निर्देश दिए गए। सफाई व्यवस्था की हर महीने समीक्षा की गई एवं खामियों को दूर किया गया।
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दीदीयों ने किया सराहनीय कार्य : आयुक्त
शहर को हासिल हुए इस गौरव पर नगर निगम आयुक्त चंद्रकांत कौशिक कहते हैं, स्वच्छता के क्षेत्र में दीदीयों ने तो वास्तव में सराहनीय कार्य किया है। इसमें दीदीयों के शिक्षित होने का भी बड़ा प्रभाव देखने को मिला है। स्वच्छता या स्वास्थ्य के मायने वे बेहतर समझ चुकी हैं और इसी का नतीजा रहा कि स्वच्छता के मामले में अब हम राज्य में दूसरे नंबर पर हैं। स्वच्छता दीदीयों और कर्मचारियों की मेहनत के कारण ही यह उपलब्धि मिली है।

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