सब धरती कागज करूँ लिखनी लेखनी सब बनराय।
सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाय॥
कमलेश यादव: ज्ञान के प्रकाश को चहुँओर फैलाने वाले शिक्षक कभी सेवानिवृत्त नहीं होते हैं। जिंदगी के हर मोड़ में शिक्षा रूपी धन की जरूरत हर किसी को पड़ती है। आज हम एक ऐसे शिक्षक के विषय मे बात करेंगे जिसने जिंदगी भर अपने शिक्षकीय धर्म का पालन किया है। श्री विमल चंद पाठक व्याख्याता (हिंदी), प्रभारी प्राचार्य हायर सेकेंड्री स्कूल बोई दा जिला कोरबा में पदस्थ हैं और 31/7/2020 को वर्तमान पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। श्री विमल चंद पाठक जी के पढ़ाए हुए विद्यार्थी विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं। शिक्षा से ही हमारा व्यक्तित्व निखरता है। आज के छात्र ही कल के नेता, वैज्ञानिक, चिकित्सक, शोधार्थी, व्यापारी आदि बनकर विकास का नया अध्याय लिखेंगे।।असम्भव से लगने वाले लक्ष्य को शिक्षा के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है और ऐसे ही लक्ष्य-भेदन में विद्यार्थियों को निपुण करने में अपना जीवन समर्पित करने वाले पाठक जी ने एक मृदुभाषी शिक्षक के रूप में कइयों के दिल मे जगह बनाई है।
अतीत चाहे दुख भरा क्यों न हो उसकी यादें हमेशा रोमांचित करती हैं। पिताजी स्व.रामरतन प्रसाद पाठक बलौदाबाजार जिले के पूर्व माध्यमिक शाला अर्जुनी में प्रधान अध्यापक थे। सो बचपन से ही घर में शिक्षा का माहौल था। पिताजी अनुशासन प्रिय थे, उनके डर से पढ़ाई खूब मन लगाकर किया करते थे। पिताजी अर्जुनी स्कूल के प्रथम प्रधान अध्यापक रहे। श्री विमल चंद पाठक जी का जीवन काफी संघर्ष पूर्ण रहा है माता जी का साया बाल्यकाल में ही उठ गया था, कुछ वर्ष पश्चात पिता जी पंडित श्री रामरतन प्रसाद पाठक भी साथ छोड़ गये। छोटे भाई बहनों की परवरिश तथा पढ़ाई लिखाई की जिम्मेदारी श्री पाठक जी के कंधे पर आ गई।
जिंदगी है तो इसका उद्देश्य भी निश्चित है संसार में। ऐसा कोई भी प्राणी नहीं है जिसके जीवन का मकसद ही न हो। पाठक जी बताते हैं “आज भी वो तारीख याद है जब मेरा इस धरती पर अवतरण हुआ। मेरा जन्म 21/07/1958 को बलौदाबाजार जिले के मीरगी अर्जुनी ग्राम में हुआ था। हिंदी एवं समाज शास्त्र विषय से एम. ए. किया तथा आयुर्वेद रत्न कि डिग्री भी प्राप्त की।”
शिक्षक विमल चन्द्र पाठक जी लेखन कार्य भी करते है। वे कई शिक्षाप्रद कहानियाँ, कविताएँ आदि लिख चुके हैं। उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। उनके पढ़ाए हुए अनेक विद्यार्थी इंजीनियर, डॉक्टर बनकर देश के सेवा कर रहे हैं।परिवार से ही विमल चन्द्र जी के मार्गदर्शन में छोटे भाई श्री अरविन्द पाठक की सुपुत्री प्रेरणा पाठक रूस के बुल्गारिया प्रांत के काबार्डिनो मेडिकल कॉलेज में चौथे वर्ष में एम बी बी एस एम डी की पढ़ाई पूरी करके प्रशिक्षु डाक्टर के रूप में अनुभव प्राप्त कर रही हैं। प्रेरणा डॉक्टर बनकर जरूरतमंद लोगों की सेवा करना चाहती है। खासकर बस्तर जैसे वनांचल में इलाज के लिए बेहतर सुविधा के लिए काम करने की भावी योजना है।
भारतीय संस्कृति में शिक्षक की भूमिका समाज को सुधार की ओर ले जाने वाले मार्गदर्शक के रूप में होती है। ये शिक्षक ही होते हैं, जो एक अनगढ़े बालक को सांचे में ढाल कर उसे एक संपूर्ण इंसान बनाते हैं। एक ऐसा माली जो पौधे रूपी विद्यार्थियों को पोषित करता है और उन्हें बेहतर मनुष्य के रूप में पल्लवित कर संस्कार रूपी पुष्प खिलाकर, सद्गुणों की महक देता है। शिक्षक श्री विमल चन्द्र पाठक जी का जीवन शिक्षा को ही समर्पित रहा है और आगे भी जारी रहेगा। सत्यदर्शनलाइव चैनल की ओर से प्रेरणादायी व्यक्तित्व के धनी श्री विमल चंद पाठक को शत शत नमन। आपके शिक्षा से समाज की दिशा और दशा दोनों में सकारात्मक परिवर्तित हुआ है।
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