योग शब्द ही जुड़ाव का प्रतीक है,योगासन से मन की ऊर्जा एवं शरीर की स्फूर्ति जुड़कर हमें नव अनुभव प्रदान करती है।योग भारत की प्राचीन अमूल्य विद्या है। इसकी साधना वस्तुतः शरीर,मन और आत्मा को शुद्ध करने की एक प्रक्रिया है।स्वस्थ,तनावमुक्त और अनुशासित जीवन के लिए योग का महत्व आज पूरा विश्व समझ रहा है।राजनांदगांव जिले के सुदूर अंचल में बसा गांव साल्हेवारा,जहा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक जयकिशन महोबिया मरीजों को दवाइयों के साथ योग करने की सलाह देते है।
आज का हमारा यह विशेषांक एकदम खास है क्योंकि अमुमन लोग अस्पताल तब जाते है जब बीमार पड़ते है या कोई आपातकालीन परिस्थितियों से सामना होता है। डॉक्टर इलाज़ उस समय तो कर देते है,और घर चले आते है।पर क्या कभी आपने यह सोचा है कि ऐसा क्या करे की बीमार ही न पड़े।तो आइए हम आपको ले चलते है साल्हेवारा अस्पताल जहाँ के डॉक्टर हर बीमारी का प्रतिदिन प्राथमिक इलाज़ तो करते है,साथ साथ नियमित दिनचर्या में योग करने की भी सलाह देते है।कोरोना काल मे योगभ्यास और सही खान पान और सुरक्षित दिनचर्या से नही जोड़ा तो हमने कुछ नही सीखा।
यहां के चिकित्सक जयकिशन महोबिया रोज 1 घण्टा योगा और प्राणायाम करते है सुबह और शाम की वाकिंग तो गांव के लोग स्वयं उन्हें करते देखते है और उनसे प्रेरणा भी लेते है।डॉ.महोबिया का मानना है कि आज कोई व्यक्ति स्वस्थ रहना चाहता है तो उसे योग प्रतिदिन करना चाहिए। क्योंकि एक स्वस्थ शरीर ही आंनद मय जीवन का राज है।आप प्रकृत्ति के जितना करीब रहेंगे आपका शरीर स्वस्थ और निरोगी होगा।आपको बता दे साल्हेवारा अस्पताल के एक कमरे में मैडिटेशन रूम भी बनाया गया है जहाँ संगीत की शास्त्रीय धुन हर समय गूंजती रहती है जिससे वहां आने वाले मरीज पर काफी पॉजिटिव प्रभाव पड़ता है।
इस अस्पताल में इलाज़ का यही एक खास पहलू है कि एक व्यक्ति को सिर्फ दवाइयों से नही वरन योगभ्यास और सही खान पान की सलाह से कैसे स्वास्थ्य रहना चाहिए कि भी जानकारी दी जाती है।योगाभ्यास से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है ।भविष्य में यही एक तरीका है सभी रोगों से लड़ने का यह भारत की सबसे प्राचीन पद्धति है।कोरोना संकट के काल मे आज भी हम यही सही आहार विहार और योग से नही जुड़े तो हमने प्रकृति के इशारे को मानो समझा ही नही…