प्रेरणा साहित्य का…एक ऐसे साहित्यकार की कहानी…जो कविता लिखते नही उसमे जीते है…युवा कवि चम्पेश्वर गोस्वामी

2025

रायपुर:-गांव की स्मृति,लोकसंस्कृति,प्रकृति का सान्निध्य इन सबने लिखने के लिए बाध्य किया नाम है चम्पेश्वर गोस्वामी।कवि, लेखक,गीतकार बहुमुखी प्रतिभा के धनी चम्पेश्वर गोस्वामी एक नेक दिल इंसान है,जो हमेशा प्रतिभावान लोगो को आगे लाने में सहयोग करते है।ग्रामीण परिवेश में पले बढ़े गोस्वामी जी को गांव से आज भी बहुत लगाव है,उनका यह मानना है शहरों की अच्छी चीजें गांव तक पहुचती है, लेकिन गांव की अच्छी चीजें शहरों तक कम पहुच पाती है,शहर और गांव के बीच में संवाद होना चाहिए और इसी कड़ी का हिस्सा खुद को मानते है।

कविताओं में जीवन के यथार्थ और समाज के सच्चाइयों को इस तरह उकेरते है,जो पाठकों को सोचने पर विवश कर देते है।एक तरफ कविताओं में संवेदना की गहराई होती है, तो दूसरी तरफ प्रकृति के लिए उमड़ता प्रेम।खेतो में नई नई फसलें जब हवाओ में हिलती है, तो एक सुंदर सी काव्य की रचना होती है।गोस्वामी जी कविताओं को लिखते नही है ,उसमें जीवंत चित्रण को आंखों के सामने देखते है।

पारिवारिक पृष्ठभूमि
बाबू जी स्वर्गीय अयोध्या गिरी गोस्वामी जी शिव जी के पुजारी थे ,इस हेतु वे ग्राम भटगांव में निवास करते थे, उसी समय बचपना में कला और साहित्य के साधकों के सान्निध्य में सौप दिए…परिणाम यह रहा सभी का आशीर्वाद और प्यार भरपूर मिला।पूज्य पिताजी का अनुशासन और माताजी सुमित्रा गोस्वामी के प्रेम के बदौलत ही आज खुद को हमेशा दूसरों के सहयोग के लिए आगे रखते है।पैतृक गांव तरीघाट की यादे मन के कोने में संजोकर रखे हुए है , किसी संग्रहालय की तरह जो सुबह ,दोपहर ,शाम गांव की मिट्टी की भीनी भीनी खुश्बू देती रहती है।ग्राम भटगांव विकासखण्ड अभनपुर के बाद अभी वर्तमान में महादेव घाट रायपुरा, रायपुर में निवासरत है।

शिक्षा
माता-पिता जी का शिक्षा और गुरुजनों का मार्गदर्शन के बदौलत एम.ए.(क्लासिक्स) सँस्कृत व्याकरणम तक शिक्षा प्राप्त किये है।अभी भी शिक्षा साधना में प्रतिवर्ष कुछ न कुछ नया सीखना मुख्य उद्देश्य बन गया है।

रचनाएं
“रचना”,”गोठ के गाड़ी”,”नदिया”,”गोठ हिरदे के”,”काव्य रथ”,हिंदी काव्य ,गजल, व्यंग्य ,कविता संग्रह है।साथ ही नाटक विधा में ,बटवारा,जमराज के नियाव,साहर के बेटी गांव के बहु,बालकाव्य नाटक,पीरा(छत्तीसगढ़ी)पर्यावरण पर आधारित,एकाग्रचित(हिंदी)जैसे अनेक नाटकों का लेखन किया गया है।कई फिल्मों में हिंदी एवं छत्तीसगढ़ी गीतों के गीतकार रह चुके है

विभिन्न चैनलों में
आकाशवाणी और दूरदर्शन के साथ विभिन्न चैनलों में अपनी आवाज का जादू बिखेरे हुए है।आकाशवाणी में “चौपाल” कार्यक्रम और दूरदर्शन में “भुइयां के गोठ” का सफल संचालन कर रहे है।दूरदर्शन के लिए उन्होंने “साहित्य पत्रिका”कार्यक्रम किये है, जिसमे कई साहित्यकारों से साक्षात्कार लेते दिखाई देते थे।जय जोहार चैनल में कई शख्शियतों का इंटरव्यू ले चुके है।युववाणी आकाशवाणी से काफी प्रसिद्धि मिली….

सम्मान
विद्या वाचस्पति 2018 “विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ द्वारा”(सुदीर्घ साहित्य,कला,संस्कृति के क्षेत्र में रचनात्मक कार्य हेतू) विभिन्न मंचो द्वारा अनेको सम्मान प्राप्त हो चुका है।राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के 150वी वर्षगांठ के अवसर पर वर्धा महाराष्ट्र में विद्यासागर सम्मान से भी सम्मानित हुए है।

एक सहित्यकार की साहित्यिक यात्रा को शब्दो मे पीरो पाना बहुत मुश्किल है.चम्पेश्वर गोस्वामी की कला और साहित्य के प्रति समर्पण से आने वाली पीढ़ियों को सही दिशा और मार्गदर्शन मिलते रहेगी।सत्यदर्शन साहित्य के टीम की ओर से उज्जवल भविष्य की कामनाएं।।।।

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