राजस्थान के दो अलग-अलग जिलों के दो परिवार मिट्टी के मटके (ठंडे पानी का बर्तन) बनाकार लोगों को कोरोना महामारी से बचाव का संदेश दे रहे हैं। ये परिवार पहले तो मिट्टी के मटके बनाते हैं और फिर उन पर अलग-अलग संदेश लिखते हैं जैसे “कोराना भगाओ-देश बचाओ” “कोरोना का लॉकडाउन व सामाजिक दूरी रखनी है कोरोना को हराना है”।
इन दोनों परिवारों के सदस्य सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए गांव के मुख्य चौराहों पर खड़े होकर नि:शुल्क मटके वितरित करते हैं । कोरोना के खिलाफ जागरूकता फैलाने में जुटे इन परिवारों में भरतपुर जिला मुख्यालय निवासी ठाकुर सिंह प्रतापत एवं बारां जिले के दीगोद गांव निवासी मोहन लाल कुम्हार के परिजन शामिल हैं । ये दोनों ही परिवार मिट्टी के बर्तन बनाने की अपनी पुश्तैनी कला का कोरोना के खिलाफ जंग में उपयोग कर रहे हैं । ठाकुर सिंह प्रतापत का कहना है कि हम हमारी कला का उपयोग लोगों को कोरोना से सजग करने के लिए कर रहे हैं । कोरोना से बचने के लिए मटकों सहित अन्य मिट्टी के बर्तनों पर लिख रहे हैं “बार-बार साबुन से हाथ धोएं “,”मास्क पहने “और “हाथ जोड़कर ही अभिवादन करें “।
ठाकुर सिंह प्रतापत कहते हैं कमाई तो हमेशा ही करनी है अब तो फ्री मटके बांटकर लोगों को इस महामारी से बचने का संदेश दे रहें हैं । उन्होंने बताया कि वे परिवार में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हैं,मटके बनाते समय दस्ताने पहनतें हैं। राज्य के पर्यटन मंत्री एवं भरतपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वेंद्र सिंह प्रजापत के घर जाकर उसके द्वारा किए जा रहे कार्य की प्रशंसा कर चुकें हैं ।
बारां जिले के दीगोद गांव निवासी मोहन लाल कुम्हार पिछले 20 दिन से कोरोना से बचाव के संदेश देने वाले मिट्टी के मटके नि:शुल्क बांट रहे हैं । उन्होंने बताया कि पहले तो हाथ से बनाते थे,लेकिन मार्च महीने में खादी एवं ग्राम उधोग मंत्रालय की सहायता से बिजली से चलने वाली चाक मशीन खरीद ली । वे आसपास के पांच गांवों में कोरोना से बचाव के संदेश लिखे मटके नि:शुल्क पहुंचा रहे हैं । कुम्हार का कहना है कि कोरोना के कारण धंधे पर काफी असर हो रहा है,लेकिन कमाना तो जीवनभर है अभी तो जनसेवा ही पहला काम है।