अविनाश मिश्रा:-देखिये परिस्थितियों की गम्भीरता को समझने की कोशिश कीजिए। हम आभासी दुनिया में नहीं जी रहे हैं।हमारा सामना वास्तविकता से हो रहा है।यह हॉलीवुड के किसी फ़िल्म की पटकथा भी नहीं , जिसमें कोई सुपर हीरो होगा और वो हमारी रक्षा कवच बनेगा ।वास्तविकता यह है कि आज हमें अपनी रक्षा खुद ही करनी होगी ।इस महायुद्ध में सबकी सहभागिता जरूरी है।कोई भी अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकता।आज राजा और प्रजा सब एक हैं।हमें आज खुद को बचाना है।अपने परिवार को बचाना है।देश को बचाना है।मानवता को बचाना है। ।कोई सुपर हीरो नहीं आने वाला है। हम अपने लिए खुद ही सुपर हीरो हैं।
इस विकट परिस्थिति में पीएम बार बार राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं ,और देश को कोरोना वायरस की भयावहता से आगाह कर रहे हैं ।अगर पीएम की नहीं तो दुनियाभर में कोरोना वायरस से लड़ रहे कर्मवीरों के वीडियो को देखिए।फिर आप कोरोना वायरस से होने वाली तबाही को समझिए। पीएम के लफ्जो की मार्मिकता को समझिए। ये किसी पिकनिक का टाइम नहीं है । खुद को बचाने की लड़ाई है।इस महामारी ने समूचे विश्व को अपने चपेट में ले लिया है।चाहकर भी कोई व्यक्ति या राष्ट्र किसी की मदद नहीं कर पा रहा।इतनी भारी तबाही पिछले दो विश्व युद्धों में भी नहीं हुई थी। उस समय भी ट्रेन, हवाई सेवाएँ कभी बाधित नहीं हुई थी। लोग अपने घरों में कैद नहीं हुए थे। लेकिन आज पूरी गतिविधियां ठप करने की आवश्यकता है। खुद को बचाकर मानवता को बचाने की चुनौती है। मौजूदा समय में अपने राष्ट्र का सहयोग करने की जरूरत है।
कोरोना से पूरी दुनिया त्रस्त है।किसी को पता नहीं कि यह वायरस कब जाएगा, लेकिन इतना पता है कि जब भी जाएगा अपने पीछे भारी तबाही छोड़कर जाएगा।इसके बाद देशों के बीच के सम्बंध को फिर से परिभाषित किया जा सकता है। ज्यादातर दलों के नेता के नेता इस मुद्दे पर भी मोदी को घेरने में लगे हुए हैं। उसने अपना हिसाब चुकता करने में लगे हुए हैं।उन्हें यह संकट अपनी राजनीति चमकाने का मौका नजर आ रहा है। वे संकट का मुकाबला करने में एकजुटता दिखाने , सुझाव देने और मदद का हाथ बढ़ाने के बजाय बाल की खाल निकालने में लगे हुए हैं।
अमेरिका , इजरायल समेत कई देश और वैश्विक संस्था मोदी के कोरोना से निपटने की भारत की तैयारियों की प्रशंसा कर रहे हैं।नफरत की राजनीति का सिलसिला संकट के समय भी नहीं रुक रहा। राष्ट्रीय संकट के समय लोग अपने मदभेद भुलाकर साथ खड़े होते हैं, मोदी विरोध के नाम पर राष्ट्र विरोधी विचारों से ऐसे लोग ग्रस्त दिख रहे हैं।
आज हमें सीमाओं में बंधकर सीमाओं को तोड़ने की आवश्यकता है। आलोचनाओं से इतर समालोचना करने की जरूरत है। परिस्थितियों की गम्भीरता को समझते हुए वैचारिक कटुताओं को भुला कर इतिहास रचने की जरूत है।एक कालजयी इतिहास रचने का मौका हमारे पास है ।आने वाली पीढ़ियों को जिसके पर गर्व हो। आइए मिल बैठ कर स्वयं को कैद करते हैं। मानवता को बचाते हैं।अपने घर में रहते हैं…
राहत इंदौरी साहब लिखते हैं…
मेरे ख़याल, मेरे ही दिल, मेरी नज़र में रहो,
ये सब तुम्हारे ही घर हैं, किसी भी घर में रहो।