दुनियाभर में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के आंकड़े कम नहीं हैं। आज भी कई माता पिता अपनी बेटियों को घर से बाहर भेजने से डरते हैं कि कहीं उनकी बेटी किसी अनहोनी या किसी अपराध का शिकार न बन जाए। छेड़छाड़, महिला उत्पीड़न, बहू को जलाना, बलात्कार, एसिड अटैक आदि कई ऐसे दिल दहला देने वाले अपराध है, जिनके आंकड़े डरा देने वाले हैं। स्कूल, कॉलेज या ऑफिस जाने वाली लड़कियों के साथ छेड़छाड़ होना आम बात है। वहीं कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिसमें लड़कियों के ऊपर राह चलते तेजाब डालकर निकल जाते हैं। तेजाब की कुछ बूंदे उन लड़कियों के जीवन को ही खत्म कर देती हैं या फिर जिंदगी भर का दाग दे जाती हैं। कई एसिड सर्वाइवर हैं, जो इस प्रताड़ना को झेल नहीं पाती तो कई ऐसी साहसी लड़कियां भी हैं, जो अपने खिलाफ हुए इस अपराध के लिए लड़ती हैं। डरती नहीं, मुंह छुपातीं नहीं, आंखों में आंखें डाल सबका सामना करती हैं। ऐसी ही एक एसिड अटैक सर्वाइवर हैं लक्ष्मी अग्रवाल जिनकी हिम्मत हर लड़की के लिए प्रेरणा है।
कौन हैं लक्ष्मी अग्रवाल
दीपिका पादुकोण की फिल्म छपाक तो देखी ही होगी? अगर नहीं देखी तो देखनी चाहिए। इस फिल्म की कहानी फिल्मी नहीं, बल्कि सच्ची है। दीपिका का वह जला चेहरा भले ही मेकअप से तैयार किया गया हो लेकिन दीपिका ने जिस लड़की की कहानी पर्दे पर उतारी, वह उसी जले चेहरे के साथ हर दिन इस समाज का सामना करती है। फिल्म छपाक एसिड हमले के खिलाफ आवाज बनकर उभरी लक्ष्मी अग्रवाल की कहानी है।
लक्ष्मी अग्रवाल का जीवन परिचय
लक्ष्मी अग्रवाल का जन्म 1 जून 1990 को एक सामान्य परिवार में हुआ था। उनके पिता और भाई का निधन पहले ही बीमारी के कारण हो गया था। लक्ष्मी अग्रवाल की मां घर-घर में काम करके परिवार का खर्च चलाती थीं। लक्ष्मी बचपन से ही पढ़ने में होशियार थीं। जब वह 15 साल की थीं, तो उनके घर के पास रहने वाले एक 32 साल के आदमी को उनसे प्यार हो गया। जब नईम खान नाम के उस शख्स ने लक्ष्मी से प्यार का इजहार किया तो उन्होंने इनकार कर दिया। जिसके बाद नईम खान ने गुस्से में लक्ष्मी अग्रवाल पर तेजाब से हमला कर दिया।
लक्ष्मी अग्रवाल का संघर्ष
एक लड़की जो पढ़ाई में होनहार थी। अच्छा गाना गाती थी और सिंगर बनने का सपना देखती थी, उसकी जिंदगी अचानक ही बदल गई। लक्ष्मी का चेहरा एसिड हमले में जल गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। साल 2006 यानी घटना के एक साल के अंदर पीआईएल दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट में तेजाब को बैन करने की मांग उठाई।
उसके बाद से लक्ष्मी अग्रवाल की जिंदगी में काफी उतार चढ़ाव आए। लक्ष्मी अग्रवाल महिलाओं के लिए काम करती है। एसिड हमले की पीड़िताओं को न्याय दिलाने, उन्हें समाज में बिना किसी डर और शर्म के नजरे उठाकर चलने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
एसिड हमले के बाद लक्ष्मी अग्रवाल की मुलाकात आलोक दीक्षित नाम के शख्स से हुई, जो कि एनजीओ चलाते थे। दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया। लक्ष्मी और आलोक ने कभी शादी नहीं की लेकिन लिवइन में साथ रहे। उनकी एक बेटी भी है, जिसका नाम पीहू है। हालांकि बेटी के जन्म के कुछ समय बाद ही लक्ष्मी और आलोक अलग हो गए। आज लक्ष्मी अग्रवाल अपनी बेटी के साथ अकेले ही रहती हैं।