कमलेश यादव:मैं भी औरो की तरह दौड़ सकता था लेकिन एक हादसे ने मेरी जिंदगी की तस्वीर ही बदल दी लोग मुझे ताना मारने लगें उनकी बातों को सुनकर मायूस हो जाता था ईश्वर से शिकायत करने के अलावा कुछ भी तो नही था मेरे पास.वो हादसा वाले दिन को कैसे भूल सकता हूं जब मेरे एक पैर को डॉक्टरों की टीम की काफी कोशिश करने के बावजुद काटना पड़ा था.उस समय इलाज के लिए 25 हजार रुपये भी नही थे जिसमें मेरे पैर को बचाया जा सके..6 महीने तक अस्पताल के बेड में खुद से संघर्ष करता रहा.आप सबकी दुआओ की बदौलत मैं स्वस्थ हो गया लेकिन जिंदगी भर न भूलने वाली कसक से खुद को कैसे बचाता.यह कहानी है विनोद रावत की जिन्होंने प्रोस्थेटिक लेग के सहारे विश्व के अनोखी बाइक राइडर्स की टीम बनाया है जिसमे दिव्यांग बाइकर्स की अदभुत टीम है. साल 2010 में लद्दाख में हुई त्रासदी में मदद के लिए मुम्बई से लद्दाख की यात्रा बाइकर्स की टीम के साथ सफलतापूर्वक पूरा करते हुए लाखों रुपये मदद के लिए फण्ड इकट्ठा किये थे.
सत्यदर्शन लाइव को विनोद रावत ने बताया.सपने सभी देखते है लेकिन सपनों को पूरा करने की जिद कुछ ही लोगो मे देखने को मिलता है.जो नही है उसके बारे में सोचने के बजाय जो है उसे लेकर चलने से निश्चित ही हरेक लक्ष्य को पाया जा सकता है.सूरज की प्रत्येक किरण एक नया सवेरा एक नया दिन और एक नया मंजिल लेकर आती है.जब हम किसी तकलीफ में होते है या किसी क्षेत्र में असफल हो जाते है यकीनन सही राह की ओर आगे बढ़ते है क्योंकि आज का असफल व्यक्ति ही कल का सफल व्यक्ति कहलाता है यह अकाट्य सत्य है.रोजाना चैलेंज को स्वीकार करते हुए स्वयं को साबित करने का मौका भी हमे मिलता है.साइकिल की यात्रा हो या दुर्गम पहाड़ियों पर चढ़ना हमारी टीम ने सभी चैलेंज को एक्सेप्ट किया है.
विनोद रावत Convoy Control Club के संस्थापक हैं,जो विशेष रूप से एडवेंचर और बाइकिंग क्लब है.विनोद का एक पैर नहीं है,इसके बावजूद भी उनका मोटरसाइकिलिंग को लेकर प्रेम इतना है कि उन्होंने स्थानीय मोटरसाइकलिंग गैंग को लेकर 20,000 फीट की ऊंचाई पर हिमालयन की चोटी पर चढ़ाई की.6 साल की उम्र से ही विनोद का बचपन बैसाखी तक सीमित रहा, जिसके बाद विनोद ने अपनी सबसे बड़ी बाधा को दूर करके मेहनत कुछ इस तरह दिखाई कि लोकप्रिय हस्ती रणविजय सिंह और एमटीवी रोडीज के रघु राम भी इनके गुणगान गाने लगे.
वास्तव में देखा जाए तो बाइकिंग एक सैर-सपाटा और मनोरंजन मात्र ही नहीं है, बल्कि यह स्वयं के द्वारा, स्वयं की खोज की एक अद्भुत यात्रा है. इस यात्रा के तमाम पड़ाव हो सकते हैं, तमाम बाधाएं भी आती हैं, लेकिन इन सभी पड़ावों और बाधाओं को पार करने के बाद जिस शांति और वैचारिक ठहराव के दर्शन होते हैं, वही स्वयं के दर्शन हैं.विनोद रावत की पूरी टीम के हौसले को सत्यदर्शन लाइव सलाम करते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है.