फ़ौज में जाने वाले सिपाही की ज़िंदगी के कई पहलू होते हैं. वह सोच-समझकर ऐसे प्रोफ़ेशन में जाता है, जहां उसे अपनी मौत की संभावनाओं का पता होता है. साथ ही, एक सिपाही के जीवन से जुड़े उसके परिवार की कहानी भी बड़ी ही दिलचस्प होती है.
एक फ़ौजी जब देश के लिए शहीद होता है, तो पूरे देश का सिर उसके सम्मान में फ़ख्र से ऊंचा होता है. हालांकि उसके परिवार के लिए बहुत नाज़ुक समय भी होता है. ऐसी ही एक मां है, जिसने अपने बेटे को खोने के बाद ख़ुद को बिखरने नहीं दिया और कुछ ऐसा किया, जिसकी हमेशा मिसालें ही दी जाएंगी. सविता जी अपने बेटे की शहादत के बाद बच्चों को पढ़ाने का काम कर रही हैं.
400 गरीब बच्चों को शिक्षित कर रही हैं सविता तिवारी
गाज़ियाबाद के इंदिरापुरम में रहने वाली शहीद स्क्वॉड्रन लीडर शिशिर तिवारी की मां, सविता तिवारी ग़रीब और वंचित बच्चों को शिक्षित करने का नेक काम कर रही हैं. अपने बेटे के शहीद होने के बाद उन्होंने यह काम शुरू किया.उन्होंने कहा, “अपने बेटे को खोने के बाद उनकी याद में मैंने यह काम शुरू किया ताकि गरीब बच्चे पढ़-लिख कर अपनी आर्थिक हालात में सुधार ला सकें.”
वो करीब 400 बच्चों को मुफ़्त में शिक्षा दे रही हैं. वह सप्ताह में 5 दिन 4 से 5 घंटे तक बच्चों को पढ़ाती हैं. इन मासूम बच्चों को कचरा उठाता देख सविता ने उनकी इस हालत में सुधार लाने के बारे में सोचा.हेलिकॉप्टर हादसे में शहीद हुआ था बेटा,6 अक्टूबर, 2017 को अरुणाचल प्रदेश के तवांग में MI-17 हेलिकॉप्टर हादसे में शिशिर शहीद हो गए थे. उनके पिता शरद तिवारी वायुसेना से ग्रुप कैप्टन पद से रिटायर्ड हैं.