मानव जाति ने तरक्की के कई नए सोपान गढ़े है । अब मानव इतना आगे बढ़ चुका है कि काफी हद खुद अपना ही विकल्प तलाशने में लगा है । इंसानी काम , क्रियाकलापो , अभिव्यक्ति को मशीन में ऐसे समाहित किया जा रहा है । मानों मशीन में जान ही डाल दी गई हो । आपने रोबोट के बारे में तो सुना ही होगा जो दुनिया भर में मौजूद है और कई इंसान के कई कामों को बड़ी ही बारीकी और समझदारी से अंजाम दे रहे है लेकिन अब एक कदम और आगे बढ़ते हुए अब हम अर्धमानव यानि ह्यूमनॉयड बना रहे है कई देशो में ऐसे ह्यूमनॉयड मौजूद है । जो अंतरिक्ष में काम करने से लेकर टीवी पर समाचार भी पढ़ते हैं । अब इस कड़ी में भारत का नाम भी जुड़ने जा रहा है अंतरिक्ष में अपने पहले मानव मिशन गगनयान के लिए इसरो प्रायोगिक रूप से दो मानव रहित गगनयान भेजेगा । इसमें प्रोटोटाइप हाफ ह्यूमनॉयड भेजा जाएगा । जो एक रोबोट महिला है और उसका नाम है,व्योममित्र।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) ने बुधवार को मानवरहित अंतरिक्ष मिशन गगनयान में भेजी जाने वाली ह्यूमनॉइड व्योममित्रा का वीडियो जारी किया। इसरो के वैज्ञानिक सैम दयाल ने कहा कि यह ह्यूमनॉइड मानव की तरह व्यवहार करने का प्रयास करेगीऔर हमें वापसरिपोर्ट करेगी। हम ऐसा प्रयोग के तौर पर कर रहे हैं।1984 में राकेश शर्मा रूस के अंतरिक्ष यान में बैठकर अंतरिक्ष गए थे। इस बार भारतीय एस्ट्रोनॉट्स भारत के अंतरिक्ष यान में बैठ कर स्पेस में जाएंगे।
इसरो चीफ सिवन ने कहा- गगनयान के अंतिम मिशन से पहले दिसंबर 2020 और जुलाई 2021 में अंतरिक्ष में मानव जैसे रोबोट भेजे जाएंगे। यह इंसान जैसे दिखने वाले ह्यूमनॉइड रोबोट होंगे। अन्य देश ऐसे मिशन से पहले अंतरिक्ष में पशुओं को भेज चुके हैं। ह्यूमेनॉइड शरीर के तापमान और धड़कन संबंधी टेस्ट करेंगे।सिवन ने बताया कि गगनयान मिशन के लिए जनवरी के अंत में ही 4 चुने हुए एस्ट्रोनॉट्स ट्रेनिंग के लिए रूस भेजे जाएंगे।
सिवन ने कहा कि गगनयान मिशन सिर्फ इंसान को अंतरिक्ष में भेजने का मिशन नहीं है। यह मिशन हमें आगे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग जुटाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा, “हम जानते हैं कि वैज्ञानिक खोज, आर्थिक विकास, शिक्षा, तकनीकी विकास और युवाओं को प्रेरणा देना सभी देशों का लक्ष्य है। किसी भारतीय द्वारा अंतरिक्ष की यात्रा इन सभी प्रेरणाओं के लिए सबसे बेहतरीन प्लेटफॉर्म है।”
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