आविष्कार डिग्रियों का मोहताज नहीं होता, इस बात को साबित कर दिखाया है किसान माहुर टिपिरिया ने। सिर्फ़ दूसरी कक्षा तक पढ़े टिपिरिया ने कबाड़ की चीज़ों से लिफ्ट वाटर इरिगेशन तंत्र बनाया है, जिससे उनके तीन एकड़ के खेत में सिंचाई होती है। इस जलचक्के के निर्माण के लिए उन्हें बांस, प्लास्टिक की पुरानी बोतलों और लोहे की पुरानी छड़ों की ज़रूरत ही पड़ी। ख़ास बात है कि यह सिंचाई व्यवस्था बिजली के बग़ैर चलती है। माहुर का खेत खरीफ की फ़सल के बाद यूं ही पड़ा रहता था। मोटर पंप का ख़र्च वहन न कर पाने के कारण वे रबी की फ़सल नहीं ले पाते थे। अंतत: उन्होंने एक महीने की मेहनत से जलचक्का बनाकर नदी के किनारे स्थापित किया और उसकी संरचना व गुरुत्वाकर्षण के मेल से उनके खेतों में पानी पहुंचने लगा।
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