कमलेश यादव : अक्सर हर किसी की जिंदगी उतार-चढ़ाव से भरी रहती है।आदर्श परिस्थितियों में तो कोई भी आगे बढ़ सकता है, बात तो तब बनें जब असंभव दिखने वाले कार्य को भी संभव बनाया जा सके। क्या आपने कभी सोचा है कि एक आम आदमी जिसके पास नाम के अलावा कुछ भी नहीं था,उसने सफलता का कीर्तिमान रच दिया है। जी हां, हम बात कर रहे हैं बालोद जिले के अर्जुन्दा निवासी कुँवर सिंह निषाद की, जिनकी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठ छवि के कारण जनता ने उन्हें 2018 में विधायक का आशीर्वाद दिया। पैतृक व्यवसाय मछली पालन के अलावा वे छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध लोक कलाकार भी हैं।आइए जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी दिलचस्प बातें।
गुनगुनी ठंड और हल्की धूप का वह स्वर्णिम दिन 15 जनवरी 1971 जब छत्तीसगढ़ महतारी की आँचल में कुंवर सिंह निषाद नाम का सूरज उगा था।कौन जानता था यह सूरज अपनी कार्यो के बदौलत पूरी दुनिया मे अपनी अलौकिक आभा बिखेर देगा।पिता श्री दुखवाराम निषाद ने शिक्षा में विशेष ध्यान दिया।संगीत खेलकूद और साहित्य में वे हमेशा अव्वल रहें।उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार मिले।उनकी शिक्षा एम.ए.(राजनीति शास्त्र) तक हुई हैं।निषाद जी कहते है कि जिंदगी की पाठशाला ऐसी है कि व्यक्ति जीवन भर कुछ न कुछ सीखता रहता हैं,इसीलिए मैं आज भी अपने आपको विद्यार्थी ही मानता हूं।
सत्यदर्शन लाइव से अपने पुराने दिनों को याद करते हुए वह कहते हैं, ‘अतीत भले ही दुखद हो, लेकिन उसकी यादें आज भी मुझे रोमांचित कर देती हैं।’ एक छोटा सा घर जिसके इर्द गिर्द हमारी पूरी दुनिया बसती थी. परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. मेरे पिता मछली पकड़ने का व्यवसाय करते थे।शुरू से ही मेरा रुझान समाज और छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति की ओर था.सभी लोगों का दिल से आशीर्वाद मिला तो समाज और लोक संस्कृति के बूते एक नई उपलब्धि का रास्ता मिल गया।वह राजनीति के रूप में सामने आया।
प्रेरणादायक यात्रा
एक लोक कलाकार होने के नाते मैंने कई सांस्कृतिक मंचों पर प्रस्तुति दी। यकीनन इस परफॉर्मेंस ने दर्शकों के दिलों में खास जगह बना ली.ये सबके प्यार की ताकत ही थी कि वो मुझे कभी स्टेज पर,कभी टीवी पर, कभी एल्बम में डांस करते हुए देखते थे।कला संस्कृति मुझे यहाँ तक ले आई है।इसके लिए मैं अपने कला साधकों,कला गुरुओं और अपने कलाकार परिवारों के प्रति आभार व्यक्त करता हूं।
कुंवर सिंह निषाद ने अपने काम के माध्यम से समाज के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया और सामाजिक सुधार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई हैं।वह वर्तमान चुनाव में कांग्रेस के तरफ से विधायक प्रत्याशी भी हैं।कुंवर सिंह के पास केवल साहस और सपने थे।उन्होंने कई बाधाओं को पार कर आगे बढ़े।उनकी जिंदगी से हमें यह सिखने को मिलता है कि संघर्षों और समस्याओं के बावजूद, हार नहीं मानना चाहिए। समर्पण और प्रतिबद्धता से, किसी भी स्थिति में सफलता प्राप्त की जा सकती है।सत्यदर्शन लाइव ऐसे समाजसेवक की प्रशंसा करता हैं।