कमलेश यादव: अगर भारत को सही मायनों में समझना है तो आपको गांवों में जाना होगा। आज भी लोग आपसी भाईचारे और सहयोग की भावना के साथ मिलजुलकर रहते हैं। आधुनिक युग में जहां स्वार्थपरता प्रबल होती जा रही है, वहीं छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ विकासखंड का सुदूर वनांचल क्षेत्र में स्थित “नवागांव” एक ऐसा गांव है जहां के युवाओं ने अपने गांव के विकास का जिम्मा खुद उठाया है। “जय बजरंग युवा प्रभाग” के माध्यम से इसका नेतृत्व गांव के ही नवाचारी युवाओं द्वारा किया जा रहा है। गांव में स्वच्छता, आपसी सहयोग और जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से इस प्रभाग का गठन किया गया है। यह पहल पूरे क्षेत्र में एक मिसाल बन गई है।
प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर लिए कोठीटोला पंचायत का यह गांव भगौलिक दृष्टिकोण से समृद्ध हैं। यहां के सभी लोग गांव की सफाई, जागरूकता अभियान और सामाजिक विकास गतिविधियों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। पूरे गांव को एक परिवार माना जाता है। वर्तमान में प्रभाग के 42 सक्रिय सदस्य हैं। अध्यक्ष माखनलाल मरकाम, उपाध्यक्ष चैन सिंह चंद्रवंशी, और सचिव घनश्याम जमकातन की टीम इस पहल को दिशा प्रदान कर रहे है। गांव के युवा आपसी सहयोग से आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो न केवल गांव की साफ-सफाई का ध्यान रखते हैं बल्कि एक-दूसरे की मदद के लिए भी तत्पर रहते हैं।
सत्संग और सांस्कृतिक चेतना का बेजोड़ उदाहरण
सभी लोग मिलकर गांव के बुजुर्गों की सत्संग की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। जय बजरंग मानस परिवार के नाम से यहां रामायण की गंगा बहती है। सत्संग और सांस्कृतिक चेतना का बेजोड़ उदाहरण यहां देखने को मिलता है। इस परिवार के माध्यम से गांव के लोग नियमित रूप से रामचरितमानस का पठन-पाठन करते हैं, जो न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी गांव को समृद्ध बना रहा है। छुरिया ब्लाक इकाई मानस प्रतिष्ठान के श्री सरजू राम कंवर और श्री शंकर साहू जैसे अनुभवी मार्गदर्शक, युवाओं और बच्चों को प्रेरित कर रहे हैं।
सामुदायिक सहयोग
घर की जिम्मेदारी की तरह ही गांव के विकास में भी भागीदारी निभाने का संकल्प लेकर युवाओं का यह समूह निश्चित रूप से मिसाल कायम कर रहा है। गांव में स्वच्छता, जल संरक्षण और पर्यावरण जागरूकता गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। इन गतिविधियों ने गांव के सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अध्यक्ष माखनलाल मरकाम का मानना है कि जब सभी लोग मिलकर प्रयास करते हैं तो परिणाम भी बहुत सुखद होता है।
नवागांव के युवाओं की यह पहल न केवल उनके गांव की तरक्की का मार्ग प्रशस्त कर रही है, बल्कि उन्हें नेतृत्व और सामुदायिक विकास के कौशल भी सिखा रही है। वे अपने गांव को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में निरंतर काम कर रहे हैं, और अन्य ग्रामीण क्षेत्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन रहे हैं।
गांव के युवा अपने दैनिक कार्यों से समय निकालकर रचनात्मक गतिविधियों में योगदान देते हैं ताकि यह कार्य लगातार चलता रहे। इससे न केवल गांव के विकास में मदद मिलती है बल्कि युवाओं को अपनी क्षमता पहचानने और विकसित करने का अवसर भी मिलता है। इस प्रकार, नवागांव के युवाओं की यह पहल हमें बताती है कि कैसे सामूहिक प्रयास और जागरूकता के माध्यम से एक गांव अपने विकास की ओर आगे बढ़ सकता है।