कमलेश यादव : सदियों पुराना ज्योतिष विज्ञान आज के विज्ञान से कई मायनों में आगे है। ज्योतिष और कुछ नहीं बल्कि वैदिक युग का एक उन्नत विज्ञान है। आज हम बात करेंगे बहुमुखी प्रतिभा के धनी आचार्य ज्ञानेंद्र देवांगन जी की, जो अपने ज्योतिष ज्ञान से लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं। इसके अलावा वह रमल विद्या और टैरो कार्ड पद्धति, वास्तु शास्त्र में भी पारंगत हैं। वह इंदौर के ज्योतिष महाविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर रहे हैं। अब उनके ज्योतिषी ज्ञान का लाभ संस्कारधानी राजनांदगांव के लोगों को मिल रहा है।
प्रारंभिक जीवन
ज्ञानेन्द्र देवांगन जी का जन्म इस्पात नगरी दुर्ग जिले में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। वह बचपन से ही पढ़ाई में बहुत आगे थे। पिता स्व. गयाराम देवांगन ने यही सिखाया कि मानवता की सेवा ही ईश्वर की पूजा है। प्राथमिक शिक्षा दुर्ग शहर में हुई। वह बताते है कि,आगे की पढ़ाई सिविल इंजीनियरिंग तक किए हैं।
बचपन से ही वह हमेशा तारों ग्रहों और ब्रह्मांड के रहस्यों से आकर्षित थे।उन्होनें आकाश की ओर देखते हुए आकाशीय पिंडो में छिपे संदेशों को समझने की कोशिश में अनगिनत रातें बिताईं। इस विषय के प्रति उनके रुझान ने उन्हें औपचारिक शिक्षा लेने के लिए प्रेरित किया। जिसके अंतर्गत ज्योतिष रत्न, ज्योतिष प्रभाकर, ज्योतिष भूषण, ज्योतिष शास्त्राचार्य, ज्योतिष विद्यारत्न, रमल विद्या में पत्रोपाधि एवं टैरो कार्ड में सर्टिफिकेट कोर्स पूर्ण किये गये। वह ज्योतिष विज्ञान शोध संस्थान एवं इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल्स साइंस के सदस्य भी हैं।
प्रेरणास्रोत
आचार्य ज्ञानेंद्र देवांगन ने बताया कि उन्होंने ज्योतिष की विभिन्न विधाओं की बारीकियों की औपचारिक शिक्षा आचार्य वाईएसएन मूर्ति , आचार्य रघुवीर प्रसाद और आचार्य रवि व्यास जी के मार्गदर्शन में प्राप्त की। उनकी बताई बातें आज भी प्रेरणा देती हैं. पिताजी ने भी शुरू से ही जनसेवा का पाठ पढ़ाया है।
उद्देश्य
उन्होंने बताया कि मैं अधिकतर लोगों को मानसिक अवसाद से ग्रस्त देखता हूं। जीवन में संघर्ष तो है लेकिन अगर सही दिशा पता हो तो कठिन समय में भी आसान राह बन जाता है। मेरी पहली प्राथमिकताओं में से एक मेरे द्वारा प्राप्त ज्ञान के माध्यम से हर संभव तरीके से लोगों की सेवा करना है। इसके अलावा ज्योतिष एवं वास्तुशास्त्र को पसंद करने वालों के लिए प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन का कार्य निरंतर चल रहा है।
संदेश
हर सफल व्यक्ति के पीछे एक मार्गदर्शक होता है जो हमें सही रास्ता दिखाता है। इसमें ज्योतिष शास्त्र भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस पद्धति से रोगों का उपचार, पूर्व चेतावनी तथा पृथ्वी पर घटित होने वाली समसामयिक घटनाओं की सटीक जानकारी संभव है। बड़ी सीधी सी बात है कि प्रकृति झूठ कैसे बोल सकती है. वैज्ञानिक भी कई शोध करने के बाद नतीजे निकालते हैं, उसी तरह ज्योतिष शास्त्र भी है।
ज्योतिष विज्ञान
ज्योतिष वास्तव में अपने आप में एक विज्ञान है। इस ज्योतिषीय गणना के आधार पर ही बारिश, भूस्खलन, तूफान जैसी संभावित आपदाओं से निपटा जा सकता है। भारत की प्राचीन परंपरा को पूरी दुनिया ने माना है।
रमल विद्या
जिनके पास अपनी जन्मकुंडली या जन्म तारीख मौजूद नहीं है अब उनका भी भविष्य आचार्य ज्ञानेंद्र जी के माध्यम से समझ सकते हैं। आचार्य जी ने बिना कुंडली के रमल विद्या अर्थात पासे के द्वारा भविष्य जानने की प्राचीन ज्योतिषीय परंपरा को पुनर्जीवित किया है।
टैरो कार्ड
हम सभी इस बात को जानते और मानते हैं तथा विज्ञान ने भी यह सिद्ध किया है कि सभी पदार्थों में ऊर्जा हैं चाहे वह जीवित हों या मृत. इसी प्रकार मनुष्य भी ऊर्जा का ही एक रूप है. हमारे आसपास का वातावरण हमारे भीतर ऊर्जा का संचार करता है. और हम उन्हीं उर्जा की ओर आकर्षित होते हैं जो हमारे आसपास की घटनाओं द्वारा उत्सर्जित होती है। इसी के माध्यम से टैरो कार्ड द्वारा बताया जाता हैं।
सम्मान
उन्हें समय-समय पर विभिन्न मंचों पर सम्मानित किया गया है, जिनमें मुख्य रूप से ज्योतिबा फुले पुरस्कार, देवी अहिल्या पुरस्कार, युवा सम्मान, ज्योतिष महाचार्य पुरस्कार, स्वर्ण पदक ज्योतिष सम्मेलन रायपुर, वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य पुरस्कार (सत्यदर्शन लाइव) शामिल हैं।
पारासरी ज्योतिष (वैदिक ज्योतिष), कृष्ण मूर्ति पद्धति, भृगु नंदी नाड़ी, जैमिनी ज्योतिष, वास्तु शास्त्र, संभ्रगण सूत्र (राजाभोज द्वारा रचित) जैसे अत्यंत प्राचीन ज्ञान प्राप्त करने वाले आचार्य ज्ञानेंद्र देवांगन जी लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं . अगर आप भी उनसे मिलना चाहते हैं और अपने काम के बारे में जानना चाहते हैं तो 9893681009 पर उनसे संपर्क कर सकते हैं। वास्तु संबंधित निराकरण के लिए भी सेवा में उपलब्ध हैं।