कमलेश यादव : एक आकाश के नीचे कला और लोक संस्कृति,रीति-रिवाजों और जीवनशैली की मिलन का नाम है छत्तीसगढ़।यहां की मिट्टी की असली खुशबू और सांस्कृतिक रंग देखना और समझना है तो मिलिए छत्तीसगढ़ की उन विभूतियों से जिन्होंने छत्तीसगढ़ी महतारी की सेवा में अपना जीवन न्यौछावर कर दिया हैं।उन्होंने अपनी कला और अभिनय से पूरी दुनिया में छत्तीसगढ़ राज्य का नाम रोशन किया है और वर्तमान में एक समाजसेविका के रूप में लोगों की सेवा कर रही हैं।श्रीमती विभा साहू एक ऐसा नाम है जिसे किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है।
सकारात्मक व्यक्तित्व की तलाश में,हम राजनांदगांव जिले से 23 किमी की दूरी पर स्थित रातापायली गांव की ओर निकल पड़े, जहां बहुमुखी प्रतिभा की धनी विभा साहू जी रहती हैं।बेहद मिलनसार और लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहने वाली विभा साहू ने अपनी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें हमारे साथ शेयर की हैं।शुरू से ही मेधावी रहीं विभा साहू एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हैं।उनकी शिक्षा एमएससी (प्राणीशास्त्र) तक हैं।अपने छात्र जीवन के दौरान उन्होंने खेल सहित विभिन्न सांस्कृतिक मंचों पर छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व किया है।
सांस्कृतिक जीवन/अभिनय
सत्यदर्शन लाइव से बातचीत के दौरान श्रीमती विभा साहू ने बताया कि साल 1994 की बात है जब यूथ फेस्टिवल भोपाल में कॉलेज के 49 लड़कों और 3 लड़कियों के बीच मेरा नाम चुना गया था।वहीं मेरी मुलाकात प्रसिद्ध लोक कलाकार राकेश तिवारी जी से हुई।उस दिन के बाद जिंदगी ने ऐसा मोड़ लिया कि मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।कई प्रसिद्ध नाटकों में अभिनय के साथ-साथ मैंने छत्तीसगढ़ी फिल्मों में भी अभिनय किया जिसका कोई जवाब नहीं।”आ जाना गोरी अब झन तरसा” हो या “जोड़ी तइहा काबर” जैसे लोकप्रिय गाने जो आज भी लोगो के बीच अपना प्रभाव बरकरार रखे हुए हैं।
सामाजिक सक्रियता
वे कहती हैं कि समाज ने मेरी प्रतिभा को देखते हुए समय-समय पर मुझे विभिन्न प्रकार के सामाजिक दायित्वों की जिम्मेदारी दी, चाहे वह जिला साहू समाज हो या प्रदेश साहू समाज संगठन, जिसे मैंने पूरी ईमानदारी और निष्ठा से निभाया।वे दुर्ग जोन की संयोजिका और पूर्व में जिला साहू समाज की कार्यकारी अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। वर्तमान में वह सलाहकार के रूप में सेवाएं दे रही हैं।
महिलाओं को सन्देश
विषम परिस्थितियों से लड़ने की अद्भुत क्षमता का दूसरा नाम है विभा साहू।जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए लेकिन मेरी ताकत मेरा परिवार है जो मुझे सामना करने की क्षमता देता है। मैं हमेशा कहती हूं कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनकर अपने परिवार को एकजुट रखना चाहिए।किसी ने क्या खूब कहा है “नारी अस्य समाजस्य कुशल वास्तुकारा अस्ति” महिलाओं से ही देश और समाज शक्तिशाली बनता हैं।महिलाएं राष्ट्र की आंखों के समान होती हैं।
जिला पंचायत सभापति (2015-2020) जैसे दायित्व का निर्वहन कर चुकी हूं मेरी पहली प्राथमिकता शोषित वंचित लोगों को न्याय दिलाना हैं।मैंने हमेशा महिलाओं को स्वास्थ्य शिक्षा रोजगार और सामाजिक सहभागिता के क्षेत्र में सक्षम बनाने की बात की हैं।वर्तमान में महिलाशक्ति जागरूक हो गई हैं...श्रीमती विभा साहू
माला में गुंथे फूलों की तरह अनेकता में एकता की खुशबू लिए हम सभी छत्तीसगढ़वासी एक हैं। अभिनय कला से लेकर समाज सेविका तक श्रीमती विभा साहू की जीवन यात्रा छत्तीसगढ़ी संस्कृति का ऐसा दर्पण है जिसे देखकर यहां के सभी लोग गौरवान्वित महसूस करते हैं।सत्यदर्शन लाइव इसी भावना को आत्मसात करते हुए महिला सशक्तिकरण की सशक्त हस्ताक्षर विभा साहू की उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हैं।